इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में रेप पीड़ितों की प्रेग्नेंसी खत्म करने के मामलों में सही कदम उठाने में अलग-अलग लेवल पर हो रही देरी के मुद्दे पर खुद ही एक पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ( जनहित याचिका) कायम किया है। इस मामले का नाम रखा गया: प्रेग्नेंसी खत्म करने के मामलों में सभी संबंधित लोगों को जागरूक करने के लिए गाइडलाइंस बनाने के संबंध में जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश सितंबर में जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस अरुण कुमार की बेंच ने दिया था। बेंच ने महसूस किया कि प्रक्रिया में होने वाली देरी को दूर करना ज़रूरी है, जो अक्सर यौन उत्पीड़न की घटनाओं की पीड़ितों के लिए समय पर मेडिकल मदद में रुकावट बनती है। इस महत्वपूर्ण मामले में कोर्ट की मदद के लिए बेंच ने एडवोकेट महिमा मौर्य को एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) भी नियुक्त किया है। एमिक्स क्यूरी ( न्याय मित्र ) और राज्य की ओर से पेश हुए एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल राजीव गुप्ता ने अधिकारियों को जागरूक करने और प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई सुझाव दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को है। उम्मीद है कि हाईकोर्ट दिए गए सुझावों पर आगे विचार करेगा ताकि प्रेग्नेंसी खत्म करने के मामलों में सभी संबंधित लोगों को जागरूक करने के लिए सही गाइडलाइंस बनाई जा सकें।
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