केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा योजना से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाने के निर्णय के खिलाफ कांग्रेस ने अरवल में विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार किया गया। जिला कांग्रेस कमेटी अरवल द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन का नेतृत्व जिला उपाध्यक्ष कामेश्वर शर्मा ने किया। विरोध प्रदर्शन श्रीकृष्ण आश्रम अरवल से शुरू होकर शहर में घूमा और फिर प्रखंड परिषद अरवल में एक सभा में बदल गया। सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रतिनिधि एडवोकेट निसार अख्तर अंसारी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की डॉ. मनमोहन सिंह सरकार ने मजदूरों के हित में ‘हर हाथ को काम दो – काम का पूरा दम दो’ नारे के साथ मनरेगा योजना प्रारंभ की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से चिढ़ती है, इसलिए बापू का नाम इस योजना से हटाने का प्रस्ताव लाई है। साथ ही, मजदूरों के 100 दिन के रोजगार की गारंटी को भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। अंसारी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार की इस मजदूर विरोधी नीति और राष्ट्रपिता के अपमान को सहन नहीं करेगी। इस प्रदर्शन में कोषाध्यक्ष निसार अख्तर अंसारी, उपाध्यक्ष कामेश्वर शर्मा, अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष सेजाम खान, प्रवक्ता मो जावेद अख्तर, सुनील कुमार, भोलानाथ गोस्वामी, मो. नवाजिश, अरुण भारती, लालमणि भारती सहित दर्जनों लोग शामिल रहे। मनरेगा का नाम बदल रही है केन्द्र सरकार
मोदी सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) को खत्म कर नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने जा रही है। इसे मौजूदा शीतकालीन सत्र में चर्चा के लिए सूचीबद्ध भी किया गया है। बिल की कॉपी सोमवार को लोकसभा सांसदों के बीच सर्कुलेट की गई है। इसका नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025’ रखा गया है। नए बिल में कहा गया है कि इसका उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास का नया ढांचा तैयार करना है। काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी। केन्द्र सरकार के अस फैसले के बारे में विस्तार से ,पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे
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