मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने बुधवार को शहर बंद रखा। इस दौरान अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग प्रदेश बनाकर नया हाईकोर्ट स्थापित करेंगे। अधिवक्ताओं ने 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट न देने की अपील भी की। पूर्व अध्यक्ष जी.एस. धामा ने इस आंदोलन को जनता की आवश्यकता बताते हुए इसके सफल होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता मांगेराम त्यागी ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के युवा पिछले 50 साल से हाईकोर्ट बेंच की मांग कर रहे हैं। ऑल इंडिया लॉयर अधिवक्ता एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल जब्बार ने जानकारी दी कि 1981 से इस मांग को लेकर प्रदर्शन जारी हैं और अब यह एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है। अब्दुल जब्बार ने उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के अलग प्रदेश बनने का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि यह मांग नहीं मानी गई, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग प्रदेश बनाकर नई हाईकोर्ट बनाई जाएगी। समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी राजपाल सिंह ने भौगोलिक विसंगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दिल्ली और यहां तक कि पाकिस्तान के लाहौर का हाईकोर्ट नजदीक है, जबकि उत्तर प्रदेश का अपना हाईकोर्ट 800 किलोमीटर दूर है। उन्होंने जोर दिया कि केंद्र और प्रदेश दोनों में भाजपा की सरकार होने के कारण यह मांग पूरी होने का यह सबसे उपयुक्त समय है। मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रोहिताश्व अग्रवाल ने इसे पांच दशकों से चली आ रही पुरानी मांग बताया। उन्होंने कहा कि इस मांग के लिए जेल भरो आंदोलन और प्रदेशव्यापी बंद भी किए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पूरब की राजनीति’ के कारण यह मांग पूरी नहीं हो पाती है, हालांकि उन्होंने इस बार मांग पूरी होने की उम्मीद जताई।
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