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वाराणसी में महिला आयोग की सदस्य बोलीं- बने पुरुष आयोग:गीता विश्वकर्मा ने कहा- महिला, एससी-एसटी, पिछड़ा आयोग बना है, तो उनके लिए क्यों नहीं

‘बहुत सारे आयोग हैं। महिला, एससी-एसटी, पिछड़ा आयोग बने हुए हैं। इन सबके बीच पुरुष आयोग की मांग हो रही है। महिला आयोग है, तो मेरी भी यही मांग है कि पुरुष आयोग भी बनना चाहिए। क्योंकि किसी भी पुरुष को यह नहीं लगना चाहिए की उसकी बात सुनी नहीं गई।’ यह बातें वाराणसी पहुंची उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य गीता विश्वकर्मा ने कहीं। देवरिया की रहने वाली गीता विश्वकर्मा ने सर्किट हाउस में राज्य महिला आयोग की सुनवाई की। जिसमें जिले के 9 मामले आए। कम मामले आने पर गीता विश्वकर्मा स्थानीय सूचना अधिकारी पर नाराज दिखीं और संबंधित को पत्र लिख अवगत कराने की बात भी कहीं। पुरुषों के लिए भी बनना चाहिए पुरुष आयोग
राज्य महिला आयोग की सदस्य गीता विश्वकर्मा ने कहा – पुरुष प्रधान देश में कई आयोग हैं। पिछड़ा आयोग, एससी-एसटी आयोग, महिला आयोग और भी कई आयोग बनाए गए हैं। ऐसे में पुरुष आयोग की मांग हो रही है। महिला आयोग है तो मेरी भी यही मांग है कि पुरुष आयोग भी बनना चाहिए। क्योंकि किसी भी पुरुष को यह नहीं लगना चाहिए की उसकी बात सुनी नहीं गई। जब पुरुष आयोग बन जाएगा तो दोनों आयोगों में मामला जाएगा और जो फैसला होगा उसपर ही कार्रवाई होगी। लोगों की जो मांग है वो पूरी हो जाएगी। 9 मामलों की हुई सुनवाई
राज्य महिला आयोग की सदस्य गीता विश्वकर्मा ने बुधवार को सर्किट हाउस में आयोग की सुनवाई की। महिला आयोग की सदस्य के सामने सिर्फ 9 मामले आये। जिसमें दो में चार्जशीट लगी। दो मामले निर्वासित बच्चियों के थे बाकी अन्य में संबंधितों को महिला आयोग ने लिखा है। इस दौरान कम लोगों के आने से राज्य महिला आयोग की सदस्य नाराज दिखीं। उन्होंने कहा – सूचना सही से दी जाती तो और लोग आते। लेकिन सूचना अधिकारी ने सूचना नहीं दी। अगली बार हम इसे तय करेंगे की सूचना सही समय पर और सही तरीके से लोगों को मिले ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ ले सकें। पुरुषों की भी सुनता है महिला आयोग
लगातार एकतरफ़ा फैसले का आरोप लगने के बात कही जाती है। इस सवाल पर राज्य महिला आयोग की सदस्य ने कहा – महिला आयोग यदि बन गया है तो ऐसा नहीं है कि सिर्फ महिलाओं की सुनी जा रही है। पुरुषों की भी सुनी जाती है। बिना दोनों पक्षों के आने के बिना कार्रवाई नहीं होती। विवेचना होती है। जांच होती है। उसके बाद ही कुछ होता है। हमार पूरा प्रयास यही रहता है कि दोनों पक्षों को बुलाकर आमने-सामने बात हो उसके बाद ही निर्णय लिया जाता है।


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