अंबेडकरनगर जिले में सरकारी ऑडिटोरियम की कमी रंगमंच कलाकारों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। जिले में कोई भी सरकारी ऑडिटोरियम न होने के कारण कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने और निखारने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को मंच नहीं मिल पा रहा है, जिससे उन्हें अपनी कला दिखाने का अवसर नहीं मिलता। महिला कलाकारों को भी सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण अपनी प्रस्तुति देने में कठिनाई होती है। इसके अतिरिक्त, जिले में कलाकारों की संख्या का कोई आधिकारिक सर्वेक्षण न होने से उन्हें सरकारी योजनाओं और लाभों से वंचित रहना पड़ता है। हालांकि राजकीय मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर, इंजीनियरिंग कॉलेज और बीएनकेबी पीजी कॉलेज जैसे कुछ संस्थानों के पास अपने ऑडिटोरियम हैं। इसके बावजूद, रंगमंच को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय से प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर कम से कम एक ऑडिटोरियम के निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता धीरेंद्र पांडेय ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर ऑडिटोरियम स्थापित करना आवश्यक है। पांडेय ने ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने के लिए एक मंच प्रदान करने और युवा कलाकारों को सरकारी स्तर पर विशेष सहायता देने की वकालत की, ताकि वे कला के क्षेत्र में अपना करियर बना सकें। सरकारी सहयोग और उचित मंच के अभाव में कई युवा कलाकार मजबूरन दूसरे क्षेत्रों का रुख कर लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन बेहतर रंगमंच उपलब्ध न होने के कारण उनकी कला गांव की सीमाओं में ही दबकर रह जाती है। शहरी कलाकारों को फिर भी कुछ अवसर मिल जाते हैं, लेकिन ग्रामीण प्रतिभाएं अक्सर ऐसे अवसरों से वंचित रह जाती हैं।
https://ift.tt/ncoWaXI
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply