कासगंज जनपद में यूरिया खाद को लेकर हालात बेहद चिंताजनक होते जा रहे हैं। सरकारी आंकड़े जहां यूरिया की भरपूर उपलब्धता का दावा कर रहे हैं, वहीं जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट दिखाई दे रही है। खेतों में फसल खड़ी है, लेकिन किसान यूरिया की एक बोरी के लिए ठंड और कोहरे में घंटों लाइन लगाने को मजबूर हैं। दिसंबर माह के लिए जिले में यूरिया वितरण का लक्ष्य 8464 मीट्रिक टन तय किया गया था, जिसमें से अब तक 6986 मीट्रिक टन का वितरण हो चुका है। हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद 3821 मीट्रिक टन यूरिया अभी भी स्टॉक में मौजूद बताया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि जब स्टॉक पर्याप्त है, तो किसान खाली हाथ क्यों लौट रहे हैं। पटियाली तहसील क्षेत्र सहित पूरे जनपद की सहकारी समितियों पर रोज़ाना अफरा-तफरी और तनावपूर्ण हालात बने रहते हैं। किसान कडकडाती ठंड मे ठिठुरते तड़के ही समितियों पर पहुंच जाते हैं, लेकिन फार्मर रजिस्ट्री और समिति सदस्यता जैसी जटिल शर्तों में उलझकर कई किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। कड़ाके की ठंड में यह व्यवस्था किसानों के लिए किसी सज़ा से कम नहीं। ऐसा ही हाल बुधवार को पटियाली तहसील क्षेत्र के थाना सिकंदरपुर वैश्य अंतर्गत नवाबगंज नगरिया स्थित क्रय-विक्रय सहकारी समिति पर देखने को मिला। यहाँ यूरिया खाद को सुबह से ही किसानों की भारी भीड़ जुट गई। ठंड से कांपते किसान खाद को घंटों इंतजार करते दिखे। किसानों का कहना था कि समय पर यूरिया न मिलने से फसल खराब होने और भारी नुकसान का खतरा मंडरा रहा है। वैसे समिति सचिव राम सिंह ने बताया कि समिति पर लगभग 500 बोरी यूरिया उपलब्ध है और वितरण नियमों के अनुसार किया जा रहा है। वहीं किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि फार्मर रजिस्ट्री और सदस्यता की बाध्यता में तत्काल ढील दी जाए। सरकारी दावों और जमीनी सच्चाई के बीच बढ़ता यह अंतर अब विस्फोटक स्थिति पैदा कर रहा है,जहां गोदाम भरे हैं, लेकिन किसान और खेत दोनों भविष्य की चिंता में डूबे हैं।
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