उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से ‘डिजिटल अरेस्ट’ के पीड़ितों को मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए न्याय मित्र द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करने को कहा, साथ ही साइबर अपराधियों द्वारा देश से निकाली गई भारी रकम पर चिंता व्यक्त की।
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर अपराध का एक बढ़ता हुआ रूप है जिसमें धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारियों, अदालती अधिकारियों या सरकारी एजेंसियों के कर्मचारियों के रूप में खुद को पेश करते हैं और ऑडियो और वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ितों को डराते-धमकाते हैं और उनसे पैसे ठगते हैं।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के मुद्दे पर विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए जल्द ही एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उठाए गए मुद्दे और न्याय मित्र एन एस नप्पिनै के सुझाव शामिल होंगे।
प्रधान न्यायाधीश कांत ने कहा, ‘‘इन जालसाजों द्वारा देश से निकाली गई भारी धनराशि देखकर हम स्तब्ध हैं।’’
न्याय मित्र ने ब्रिटेन के मॉडल की तर्ज पर पीड़ित मुआवजा योजना शुरू करने का सुझाव दिया।
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