संभल के बहुचर्चित गैंगरेप और हत्या मामले में न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में पांच आरोपी शामिल हैं। घटना के सात साल बाद, न्यायालय का निर्णय 17 दिसंबर को सुनाया जाएगा। यह घटना जनपद संभल की तहसील गुन्नौर के थाना रजपुरा क्षेत्र के एक गांव में 13 जुलाई 2018 की रात करीब ढाई बजे हुई थी। पीड़िता के पति ने पुलिस को दी तहरीर में बताया था कि वह मजदूरी के लिए गाजियाबाद गए हुए थे, जबकि घर पर उनकी पत्नी और सात वर्षीय बेटी मौजूद थीं। तहरीर के अनुसार, उस रात आराम सिंह, महावीर, चरन सिंह, गुल्लू और भोना उर्फ कुमरपाल घर में घुस आए और उनकी पत्नी के साथ दुष्कर्म किया। आरोपियों के जाने के बाद, पीड़िता ने अपने ममेरे भाई को घटना की जानकारी दी। हालांकि, इससे पहले कि मदद पहुंच पाती, आरोपी दोबारा मौके पर आ गए। उन्होंने पीड़िता को घर से लगभग 20 मीटर दूर स्थित मंदिर की झोपड़ी में ले जाकर बंद कर दिया और उसमें आग लगा दी। जब परिवार के सदस्य मौके पर पहुंचे, तो घर पर बेटी सो रही थी और पत्नी गायब थी। आसपास देखने पर मंदिर की झोपड़ी में आग लगी हुई मिली। पुलिस ने दुष्कर्म सहित संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी। यह मामला न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अवधेश कुमार सिंह के न्यायालय में चल रहा है। अभियोजन पक्ष के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि मामले में बहस पूरी हो चुकी है। जांच के दौरान, आरोपियों के कपड़े बरामद कर विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए थे। प्रयोगशाला रिपोर्ट भी न्यायालय को सौंपी गई, जिसमें आरोपियों के कपड़ों पर सीमेन के निशान पाए गए। पुलिस ने घटनास्थल से पीड़िता का मोबाइल भी बरामद किया था और पीड़िता व उसके ममेरे भाई के बीच हुई बातचीत की ऑडियो-रिकॉर्डिंग भी ली थी। घटना के समय संभल के पुलिस अधीक्षक आर. एम. भारद्वाज थे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों को लेकर सख्त थे, एसपी को सस्पेंड कर दिया गया था और तेजतर्रार आईपीएस यमुना प्रसाद को नया पुलिस अधीक्षक बनाया था।
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