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सिद्धार्थनगर में मनरेगा का संगठित फर्जीवाड़ा:गजहड़ा गांव बना मास्टर रोल घोटाले की प्रयोगशाला, हर स्तर पर हिस्सा तय होने का आरोप

सिद्धार्थनगर में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। विकासखंड बढ़नी के ग्राम गजहड़ा में हुए मास्टर रोल घोटाले ने जिले में चल रहे फर्जीवाड़े की भयावह तस्वीर उजागर की है। आरोप है कि यहां कागजों पर मजदूरों की फौज खड़ी कर विकास कार्य दिखाए जा रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। जानकारी के अनुसार, गजहड़ा गांव में मात्र 13 दिनों के भीतर 2913 मजदूरों की हाजिरी मास्टर रोल में दर्ज की गई। इसमें प्रतिदिन एक ही कार्य के लिए ठीक 222 मजदूरों की उपस्थिति दर्शाई जाती है। खास बात यह है कि मजदूरों की संख्या, चेहरे और तस्वीरों में कोई बदलाव नहीं होता, केवल तारीख बदलकर हाजिरी आगे बढ़ा दी जाती है। मौके पर न तो इतनी बड़ी संख्या में मजदूर काम करते दिखते हैं और न ही रिकॉर्ड में दर्ज कोई बड़ा कार्य नजर आता है। ग्रामीणों का कहना है कि विकास के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। जहां बड़े कार्य दिखाए गए हैं, वहां केवल नाममात्र की लीपापोती नजर आती है, जबकि असल काम कहीं दिखाई नहीं देता। फर्जीवाड़े का सबसे पुख्ता प्रमाण फोटो साक्ष्यों में सामने आता है। प्रत्येक मास्टर रोल में वही मजदूर बार-बार नजर आते हैं, जबकि उनके नाम अलग-अलग दर्ज किए गए हैं। एक ही फोटो को अलग-अलग एंगल से या फोटो से फोटो खींचकर जियो टैगिंग के नाम पर अपलोड किया जा रहा है। मजदूर काम करते नहीं दिखते, बल्कि किसी आयोजन या मेले की तरह एक जगह खड़े कर तस्वीरें ली जाती हैं और उन्हीं तस्वीरों के सहारे रोजाना फर्जी हाजिरी दर्ज की जाती है। ग्रामीणों का आरोप है कि कई ऐसे नाम मास्टर रोल में दर्ज हैं, जिनका गांव से कोई संबंध नहीं है। कुछ लोग वर्षों से दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों में रहकर रोजगार कर रहे हैं, लेकिन कागजों में उन्हें गजहड़ा में मनरेगा कार्य करते हुए दिखाया जा रहा है। यह सीधे तौर पर सरकारी व्यवस्था के साथ एक संगठित धोखाधड़ी है, जिसमें हर स्तर पर हिस्सा तय होने का आरोप है।


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