संभल में श्रीकल्कि कथा के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा कल्कि अवतार को लेकर की गई शास्त्रीय उद्घोषणा पर विवाद बढ़ गया है। इस संबंध में श्रीकल्कि सेना (निष्कलंक दल) के सदस्यों ने एक बैठक कर रणनीति बनाई है। राष्ट्रीय महामंत्री और भाजपा सभासद गगन वार्ष्णेय ने जगद्गुरु पर आश्रित शक्तियों के प्रभाव में होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जगद्गुरु का ज्ञान प्रशंसनीय है, लेकिन वे ऐसे स्थान पर हैं जहां आडंबर अधिक है। वेदों और पुराणों में वर्णित 24 कोसीय परिमाप वाला संभल, जिसके तीनों कोणों पर भगवान शिव का वास है और 19 कूपों से सुसज्जित है, गंगा और रामगंगा के मध्य स्थित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान कल्कि का अवतरण इसी स्थान पर होना सुनिश्चित है। गगन वार्ष्णेय ने आरोप लगाया कि इस स्थान से सब कुछ ले जाने का कुप्रयास किया जा रहा है और एक महान संत को इसमें शामिल कर भ्रमित किया गया है। वार्ष्णेय ने कहा कि भगवान ने पिछले युगों में संभल में कल्कि के रूप में आने की जो घोषणाएं की हैं, उन्हें कोई नहीं बदल सकता। गुरुओं से शिक्षा प्राप्त करने वाले और पुराण-पंचांगों के अनुसार, कल्कि जयंती श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को गोधूलि बेला में इसी संभल में मनाई जाती है। एडवोकेट नीलम वार्ष्णेय ने जगद्गुरु से उनके उस प्रमाण का आधार पूछा, जिसके तहत उन्होंने कल्कि जी के ऐचौड़ा कम्बोह में आने की बात कही है। उन्होंने कहा कि प्राचीनतम पुराणों और पंचांगों में द्वापर, त्रेता और सतयुग सभी में कल्कि भगवान का प्राकट्य संभल में ही वर्णित है। यह यहां के भक्तों के साथ छलावा बताया। उन्होंने कहा कि वे गलत को बर्दाश्त नहीं करेंगे और सही के लिए लड़ेंगे, भले ही इसके लिए उन्हें अपनी जान भी गंवानी पड़े। आपको बता दे कि संभल के थाना ऐंचौड़ा कम्बोह गांव स्थित श्रीकल्कि धाम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने विश्व की पहली कल्कि कथा का गुणगान 1 दिसंबर से 7 दिसंबर तक किया था। उन्होंने भगवान के अवतार और स्थान को लेकर शास्त्रीय उद्घोषणा की थी, इसी के बाद से विवाद शुरू हो गया है।
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