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आज से शुरू हुआ खरमास, नहीं होंगे कोई मांगलिक कार्य:8 साल बाद खरमास के दौरान शुक्र होंगे अस्त, अब डेढ़ महीने के बाद ही होगा शादी-विवाह

आज से खरमास शुरू हो रहा है। इसके शुरू होते ही हिंदुओं के सभी मांगलिक कार्यों पर महीने भर का विराम लग जाएगा। इस बार 8 साल के बाद खरमास के दौरान शुक्र ग्रह के अस्त होने से डेढ़ महीने के बाद ही शादी-ब्याह, गृहप्रवेश और अन्य शुभ-मांगलिक कार्य शुरू होगा। इस दौरान सिर्फ बसंत पंचमी यानि 23 जनवरी 2026 को अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन सगाई, व्यापार आरंभ, विशेष वस्तुओं की खरीदारी आदि कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि आज दोपहर 01:24 बजे सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के धनु राशि में गोचर से खरमास का आरंभ हो जाएगा। नए साल के 14 जनवरी बुधवार माघ कृष्ण एकादशी की रात्रि 09:19 बजे सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होने से खरमास समाप्त हो जाएगा। सूर्य ही संक्रांति और लग्न के राजा माने जाते हैं। इनकी राशि का परिवर्तन ही खरमास का द्दोतक है। सूर्य के राशि परिवर्तन से बदलेगा मौसम ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि सूर्य के राशि परिवर्तन करने से ऋतु परिवर्तन भी होगा, जिससे मौसम भी बदल जाएगा। खरमास के दौरान हेमंत ऋतु रहती है। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते है, तो दिन छोटे और राते बड़ी होने लगती है। खरमास के दौरान बादल, धुंध, बारिश, बर्फबारी भी होती है। फिर जब सूर्य मकर राशि में गोचर करते है तो फिर मौसम में बदलाव देखने को मिलता है। मकर संक्रांति से दिन बड़े होने होने शुरू हो जाते है। खरमास के दौरान दान-पुण्य, भागवत कथा कर सकते खरमास के दौरान दान-पुण्य, भागवत कथा, ग्रंथों का पाठ, मंत्रों का जाप, रामायण पाठ, प्रसूति स्नान कर सकते है। सूर्य के गुरु की राशि धनु में गोचर करने पर खरमास शुरू होगा और मकर राशि में प्रवेश पर खत्म हो जाएगा। इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे और शुभ मांगलिक कार्य भी शुरू होंगे। वर को सूर्य का बल व वधु को गुरु का बल होने के साथ ही चन्द्रमा का बल होने से ही विवाह के योग बनते है। इस पर ही वैवाहिक उत्सव की तिथि निर्धारित होती है। खरमास की पौराणिक कथा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन रथ से जुड़े घोड़े लगातार चलने से थक जाते है। घोड़ों की हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, तभी उन्हें अहसास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। तालाब के पास दो खर यानि गधों को रथ में जोत लिया। गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में पूरी तरह समर्थ नहीं हो पा रहे थे। इससे उनकी रथ की चाल धीमी हो गई। फिर भी सूर्यदेव में जैसे-तैसे इस एक मास के चक्र को पूरा किया। घोड़ों को विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया। इस तरह प्रत्येक वर्ष यह क्रम चलता रहता है। इसी से हर साल खरमास लगता है। वर्ष में दो बार लगता है खरमास आचार्य राकेश झा ने कहा कि वर्षभर में दो बार खरमास लगता है। इसमें पहला खरमास धनुर्मास और दूसरा मीन मास में लगता है। यानि सूर्य जब गुरु की राशियों धनु व मीन में प्रवेश करता है तो खरमास होता है, क्योंकि सूर्य के कारण गुरु निस्तेज हो जाते है। इसी लिए सूर्य के गुरु की राशि में प्रवेश करने से विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी-विवाह के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। सूर्य का राशि परिवर्तन समय काल सूर्य का धनु राशि में प्रवेश: मंगलवार 16 दिसंबर, दोपहर 01:24 बजे सूर्य का धनु राशि में समयावधि: लगभग एक मास सूर्य की स्थिति में परिवर्तन: 14 जनवरी 2026 की रात्रि 09:19 बजे मकर राशि में प्रवेश


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