इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरबीआई की अनुमति के बिना इंडियन बैंक की शाखा को दूसरे गांव में स्थानांतरित करने को चुनौती देने वाले एक जनहित याचिका खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार कर दिया। याची ग्राम प्रधान लाल बहादुर पटेल ने प्रयागराज जिले के सोरांव तहसील के मऊआइमा ब्लॉक में स्थित इंडियन बैंक की शाखा को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में आधार था कि इससे आसपास के गांवों के ग्रामीणों के साथ-साथ उनके गांव के ग्रामीणों को भी बहुत कठिनाई होगी। यह दलील दी गई कि शाखा को दूसरे गांव में स्थानांतरित कर दिया गया है और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना शाखा को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक के वकील ने तर्क दिया कि आरबीआई की अनुमति आवश्यक नहीं थी। शाखा प्राधिकरण नीति के दिशा-निर्देशों के संशोधन से संबंधित दिनांक 18 मई 2017 के परिपत्र के खंड 5.2 का हवाला देते हुए उन्होंने तर्क दिया कि बैंक शाखा के स्थान परिवर्तन के लिए जिला परामर्श समिति की अनुमति पर्याप्त थी और वह अनुमति प्राप्त कर ली गई थी। उक्त परिपत्र का खंड 5 ‘बैंकिंग आउटलेट्स’ के विलय/बंद करने/स्थानांतरण/रूपांतरण से संबंधित है। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने यह आदेश पारित किया है। बैंक के वकील द्वारा बैंक शाखा के नाम परिवर्तन संबंधी आदेश प्रस्तुत किए जाने पर न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर जनहित याचिका में कोई आधार नहीं है। तदनुसार, कोर्ट ने जनहित याचिका खारिज कर दिया।
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