किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने 11 महीने के बच्चे की जटिल सर्जरी करके उसे नया जीवन दिया है। बच्चा जन्म से ही सांस फूलने की समस्या से ग्रसित था। इसकी वजह से उसे एक अन्य सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा। जांच में उसका एक फेफड़ा खराब निकला। KGMU में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने बच्चे की जटिल सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया है। जांच में एक फेफड़ा मिला खराब पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. जेडी रावत ने बताया कि रायबरेली के सिक्का खेड़ा निवासी राम अचल मौर्य के 11 महीने के बच्चे विराट मौर्य को जन्म से ही सांस फूलने की समस्या थी। एक महीने पहले खांसी और बुखार की वजह से सांस लेने की समस्या बढ़ गई और वह दूध भी नहीं पी पा रहा था। ऐसे में घरवाले उसे लेकर रायबरेली के प्रमुख चिकित्सा संस्थान लेकर गए। वहां बच्चे के आठ दिनों तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। जांच करने पर डॉक्टरों ने फेफड़े में समस्या होने की बात बताई। सर्जरी की जरूरत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे KGMU रेफर कर दिया। यहां एक्सरे और एमआरई जांच में पता चला कि बच्चे का बायां फेफड़ा खराब है। इसके बाद तीन दिसंबर को दूरबीन विधि से बच्चे की सर्जरी की गई। ऑपरेशन के बाद वेंटिलेटरी देखभाल बाल रोग विभाग के डॉ.एसएन सिंह और डॉ.शालिनी त्रिपाठी के मार्गदर्शन में की गई। तीन घंटे चली सर्जरी प्रो.जेडी रावत ने बताया कि ऑपरेशन तीन घंटे चला। इतने छोटे बच्चे की सर्जरी करना काफी चुनौतीपूर्ण था। जरा सी असावधानी होने पर बच्चे की जान को खतरा था। सर्जरी करके फेफड़े का खराब हिस्सा निकाला गया। सर्जरी के बाद बच्चे को तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। सोमवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने ऑपरेशन करने वाली पूरी टीम को बधाई दी है। इस टीम ने किया ऑपरेशन प्रो. जेडी रावत, डॉ. गुरमीत सिंह, डॉ. कृति पटेल, डॉ.मनीष राजपूत, एनेस्थीसिया से डॉ. सतीश वर्मा, नर्सिंग स्टाफ अंजू वर्मा, संजय और डॉली गौतम शामिल रहीं।
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