बागपत नगर पालिका अध्यक्ष राजुद्दीन को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने बिना सुनवाई के पारित किए गए पूर्व आदेश को निरस्त करते हुए पूरे मामले में दोबारा सुनवाई कर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। यह मामला बागपत नगर पालिका के चेयरमैन पद को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ा हुआ है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राजुद्दीन के दोबारा नगर पालिका अध्यक्ष बनने का रास्ता एक बार फिर साफ होता नजर आ रहा है। राजुद्दीन की ओर से हाईकोर्ट में दलील दी गई कि उनके प्रकरण की सुनवाई पहले प्रमुख सचिव द्वारा की जा रही थी, लेकिन नए प्रमुख सचिव के कार्यभार संभालते ही बिना किसी पक्ष को सुने ही आदेश पारित कर दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है। हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी प्रभावित पक्ष को सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने पूर्व आदेश को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि पूरे प्रकरण में नए सिरे से निष्पक्ष सुनवाई की जाए और उसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाए। हाईकोर्ट के इस फैसले से बागपत की स्थानीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। राजुद्दीन के समर्थकों में खुशी का माहौल है और उन्होंने मिठाइयां बांटकर फैसले का स्वागत किया। वहीं, विरोधी खेमे में बेचैनी देखी जा रही है। अब सभी की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई और दोबारा होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं।
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