गोरखपुर में बिजली के निजीकरण, ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) बिल 2025 और परमाणु ऊर्जा से जुड़े प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ बिजली कर्मचारी, इंजीनियर, संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनें मिलकर देशव्यापी संयुक्त आंदोलन शुरू करेंगी। आंदोलन के तहत जनवरी और फरवरी 2026 में देशभर में सम्मेलन और रैलियां होंगी, जबकि 18 मार्च 2026 को दिल्ली में विशाल रैली आयोजित की जाएगी। यह निर्णय 14 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में हुई राष्ट्रीय स्तर की संयुक्त बैठक में लिया गया। नई दिल्ली की बैठक में तय हुई आंदोलन की रूपरेखा
बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओईईई), केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेतृत्व की बैठक बीटी रणदीवे भवन, नई दिल्ली में हुई। बैठक में बिजली के निजीकरण, प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग और ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) बिल 2025 को लेकर साझा रणनीति तय की गई। उत्तर प्रदेश में निजीकरण के प्रयासों पर कड़ा विरोध
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन एवं संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रयासों को तुरंत रोकने की मांग की गई। नेताओं ने इसे उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के हितों के खिलाफ बताया। बैठक में यह भी सामने आया कि संसद के मौजूदा सत्र में परमाणु ऊर्जा अधिनियम और नागरिक परमाणु क्षति दायित्व अधिनियम में संशोधन बिल लाए जा सकते हैं। सभी संगठनों ने इन प्रस्तावित संशोधनों का भी संयुक्त रूप से विरोध करने का निर्णय लिया। केंद्र सरकार के समक्ष रखी गईं स्पष्ट मांगें
संयुक्त मंच ने ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) बिल 2025 की तत्काल वापसी, परमाणु ऊर्जा से जुड़े संशोधनों को वापस लेने, प्रीपेड स्मार्ट मीटरों की स्थापना रोकने, उत्पादन, पारेषण और वितरण में निजीकरण व फ्रैंचाइजी मॉडल समाप्त करने, उत्तर प्रदेश में पीवीवीएनएल और डीवीवीएनएल के निजीकरण पर रोक लगाने, क्रॉस सब्सिडी और सार्वभौमिक सेवा दायित्व बनाए रखने तथा बिजली टैरिफ कम करने की मांग की। संशोधन संसद में आए तो देशभर में प्रदर्शन
एनसीसीओईईई, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच और संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ किया कि यदि परमाणु ऊर्जा से जुड़े संशोधन संसद में पेश किए गए तो पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। निजीकरण और ड्राफ्ट विद्युत (संशोधन) बिल के खिलाफ जनवरी और फरवरी 2026 में देशभर में बड़े सम्मेलन और रैलियां होंगी। इसके बाद 18 मार्च 2026 को दिल्ली में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की विशाल रैली आयोजित की जाएगी। शैलेंद्र दुबे ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र और राज्य सरकारें निजीकरण के प्रयास और ड्राफ्ट बिल वापस नहीं लेतीं, तो बिजली कर्मचारी और इंजीनियर राष्ट्रव्यापी सेक्टरल हड़ताल करने के लिए मजबूर होंगे। राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे मौजूद
बैठक में AIPEF के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, एआईएफओपीडीई के महासचिव अभिमन्यु धनकड़, एआईएफईई के महासचिव मोहन शर्मा, ईईएफआई के महासचिव सुदीप दत्ता सहित कई प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से एआईटीयूसी, आईएनटीयूसी, सीआईटीयू, एचएमएस और किसान संगठनों के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 383वें दिन गोरखपुर समेत प्रदेश के सभी जनपदों में बिजली कर्मियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
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