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वाराणसी के बहुचर्चित सोयेपुर कांड में 16 आरोपी दोषमुक्त:17 फरवरी 2010 को जहरीली शराब पीने से हुई थी 28 लोगों की मौत, 16 साल से चल रहा ट्रायल

वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय की एक कोर्ट ने बहुचर्चित सोयपुर शराब कांड में 16 आरोपित को बड़ी राहत दे दी। विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट सुशील कुमार खरवार की अदालत ने इस मामले में आरोपित 16 नामजदों को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया। इसमें बचाऊ जायसवाल उर्फ विजय जायसवाल, राघवेंद्र उर्फ गबड़ू जायसवाल, सारिका गुप्ता, शिवभजन गुप्ता उर्फ बबलू, गोपाल राजभर उर्फ बिल्ली, राजकुमार जायसवाल, महेश जायसवाल, नवल चौहान, भोनू जायसवाल, अनिल पाण्डेय, संजय जायसवाल, विक्की उर्फ विकास जायसवाल, अल्लू उर्फ बब्लू जायसवाल, सुनील पाल चौहान, राहुल सिंह, राजेश प्रसाद गुप्ता को राहत मिली। इन सभी को आरोप के बाद केवल केस में शामिल करने और वारदात में संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। अदालत में बचाऊ जायसवाल उर्फ विजय जायसवाल, राघवेंद्र उर्फ गबड़ू जायसवाल, सारिका गुप्ता, शिवभजन गुप्ता उर्फ बबलू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, बृजपाल सिंह यादव, नरेश यादव व संदीप यादव ने पक्ष रखा। अभियोजन पक्ष के अनुसार वादी मुकदमा दिनेश राजभर ने 17 फरवरी 2010 को कैंट थाने में तहरीर दिया था। आरोप था कि उसके गांव की कमला देवी का देहांत के उपरांत उनका दाह संस्कार करके 16 फरवरी 2010 को उसके पिता लालजी राजभर तथा गांव के ही शिवचरण राजभर, लक्ष्मीना देवी, लालचंद राजभर, पांचू राजभर, बग्गा राजभर, बहादुर राजभर, राजकुमार राजभर, ज्ञानदास राजभर, प्रभु राजभर, गन्नू राजभर, हरिचरन राजभर, सुरेश राजभर, नंदू राजभर के साथ जाकर गोपाल, राजकुमार, महेश जायसवाल के यहां शराब पी। जो नवल चौहान, भोनू जायसवाल व अंबू देवी से शराब लाकर उसमें विषैला पदार्थ मिलाकर बेच रहे थे। जिसे पीकर रात में ही मेरे पिता लालजी, शिवचरण और लक्ष्मीना देवी की मृत्यु हो गई, जबकि अन्य लोग गंभीर अवस्था में पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती है और उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में उपरोक्त सभी आरोपितों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या, गैंगस्टर समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। वही इस मामले में बाद में जहरीली शराब पीने से कुल 28 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद इस मामले में काफी तूल पकड़ लिया था। अदालत में अभियोजन की ओर से कुल दस गवाह परीक्षित कराए गए थे। वही अदालत में विचारण के दौरान आरोपित जवाहर लाल जायसवाल, अंबू देवी, शम्भू सिंह व महेंद्र कुमार जायसवाल की मृत्यु हो जाने के चलते उनके खिलाफ मुकदमा की सुनवाई समाप्त कर दी गई थी।


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