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बड़े-बड़े सपने… चमकदार सेमिनार… और भरोसेमंद नाम का सहारा:कैनविज के मालिक कन्हैया गुलाटी ने एलआईसी के नाम और भरोसे का जमकर किया इस्तेमाल

बड़े-बड़े सपने, आलीशान सेमिनार और भरोसेमंद नाम- यही जाल बिछाकर कैनविज के मालिक कन्हैया गुलाटी ने लोगों से करोड़ों ऐंठ लिए। अब इस पूरे खेल की परतें एसआईटी की जांच में खुलने लगी हैं। कैनविज कंपनी के जरिए करोड़ों की ठगी करने वाले कन्हैया गुलाटी और उसके नेटवर्क की जांच अब तेज हो गई है। एसपी ट्रैफिक मोहम्मद अकमल के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ाई, वैसे-वैसे ठगी का तरीका साफ होता चला गया। शुरुआती जांच में सामने आया है कि लोगों का भरोसा जीतने के लिए कैनविज ने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड का नाम और लोगो अपने प्रचार में इस्तेमाल किया। एसआईटी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एलआईसी पर आमजन का गहरा भरोसा था। इसी भरोसे को हथियार बनाकर गुलाटी ने अपने नेटवर्क को मजबूत किया और लोगों को निवेश के लिए तैयार किया, जबकि कंपनी को एलआईसी की ओर से किसी भी तरह की अधिकृत अनुमति नहीं थी। 2007 से रची जा रही थी ठगी की स्क्रिप्ट
जांच में सामने आया है कि कन्हैया गुलाटी ने साल 2007 में अपने सहयोगियों आशुतोष श्रीवास्तव, राकेश पांडेय, नितिन श्रीवास्तव समेत अन्य लोगों के साथ मिलकर कैनविज सेल्स एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखी। शुरुआत मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए की गई। कंपनी ने खुद को भरोसेमंद दिखाने के लिए अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में एलआईसी का नाम जोड़ दिया। कैनविज के सेमिनार, वेबसाइट और प्रचार सामग्री में एलआईसी का लोगो खुलकर इस्तेमाल किया गया। इससे आम लोग यह मान बैठे कि कंपनी का एलआईसी से सीधा संबंध है। इसी भरोसे के दम पर लोगों ने अपनी जीवनभर की कमाई कंपनी के बताए गए प्रोडक्ट्स में लगा दी। बिना अनुमति लगा एलआईसी का लोगो
सामाजिक कार्यकर्ता अमित मिश्रा भी इस ठगी के दायरे में आए। उन्होंने एलआईसी के बरेली मंडल कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद 22 मार्च 2016 को एलआईसी की ओर से कैनविज के कार्यकारी निदेशक को नोटिस भेजा गया और सात दिन में जवाब मांगा गया। जवाब न मिलने पर 10 मई 2016 को रिमाइंडर जारी हुआ। मामले की जांच के लिए वीके धपलियाल, प्रबंधक विक्रय को अधिकृत किया गया। इसके बाद कैनविज ने अपनी वेबसाइट और प्रचार सामग्री से एलआईसी का लोगो हटा लिया। हालांकि सवाल यह है कि इतने गंभीर मामले में एलआईसी के स्तर पर कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यह पहलू भी अब जांच के घेरे में है। भव्य सेमिनार, बड़ी जगहें और करोड़पति बनने के सपने
कैनविज का सबसे मजबूत हथियार उसके भव्य सेमिनार थे। बड़े शहरों और आलीशान होटलों में होने वाले इन कार्यक्रमों में बेरोजगार युवाओं को जल्दी अमीर बनने के सपने दिखाए जाते थे। मंच से कहा जाता था कि सही निवेश से कुछ ही सालों में करोड़पति बना जा सकता है। लोगों का भरोसा जीतने के लिए एलआईसी जैसी संस्था का नाम आगे रखा जाता था। कंपनी का मेंबर बनने के लिए एलआईसी पॉलिसी लेने की बात कही जाती थी, जिसमें करीब 25 हजार रुपये खर्च होते थे। वहीं अन्य प्रोडक्ट्स की कीमत कम रखी जाती थी, ताकि लोग जल्द फैसला कर लें। लालच में आकर कई युवाओं ने निवेश किया और रकम सीधे कंपनी से जुड़े खातों में पहुंचती चली गई। एमएलएम के जरिए बीमा बेचना गैरकानूनी, पुराने घोटालों से भी जुड़ रहे तार
एसआईटी का कहना है कि एमएलएम के जरिए बीमा उत्पाद बेचना कानूनन गलत है। इसी तरह का मॉडल साल 2013 में रोज वैली चिट फंड घोटाले में सामने आया था, जिसकी रकम करीब 15 हजार करोड़ बताई गई थी। रोज वैली एलआईसी की कॉरपोरेट एजेंट थी, लेकिन उसने एमएलएम की आड़ में सामूहिक निवेश योजनाएं चलाईं। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण यानी इरडा पहले ही इस तरह की गतिविधियों को गैरकानूनी करार दे चुका है। कैनविज का मॉडल भी इसी तर्ज पर काम करता पाया गया है। गुलाटी के खिलाफ एक और शिकायत, रुपये डबल करने का झांसा, धमकी तक पहुंचा मामला
सीतापुर के थाना लहरपुर क्षेत्र के गांव रुखार निवासी राकेश कुमार ने भी कन्हैया गुलाटी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। राकेश का आरोप है कि गुलाटी और उसकी टीम ने रुपये डबल करने का लालच देकर उनसे साढ़े छह लाख रुपये जमा कराए। वादा किया गया था कि हर महीने 30 हजार रुपये दिए जाएंगे, लेकिन तय समय बीतने के बाद भी पैसा नहीं मिला। जब रकम वापस मांगी गई तो एजेंटों ने जान से मारने की धमकी दी। गुलाटी से संपर्क करने पर वह लगातार टालमटोल करता रहा। पुलिस अब इस शिकायत की भी जांच कर रही है। जांच के साथ बढ़ेंगी मुश्किलें, एसआईटी को मिल रहे नए इनपुट
एसआईटी अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए पीड़ित सामने आ रहे हैं। दस्तावेज, बैंक ट्रांजैक्शन और प्रचार सामग्री को खंगाला जा रहा है। आने वाले दिनों में कन्हैया गुलाटी और उसके नेटवर्क की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कन्हैया गुलाटी और उसके परिवार पर अब तक 10 मुकदमे बरेली के अलग-अलग थानों में दर्ज हो चुके हैं।


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