द इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), उत्तर प्रदेश राज्य केंद्र, लखनऊ ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण के महत्व को रेखांकित करना और इसके कुशल उपयोग के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना था। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का आयोजन भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा किया जाता है। कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने ऊर्जा संरक्षण का संकल्प लिया। उन्होंने यह वचन दिया कि वे अपने दैनिक जीवन में ऊर्जा की बचत करेंगे और समाज में भी ऊर्जा जागरूकता फैलाकर विकसित भारत 2047 के निर्माण में सक्रिय योगदान देंगे। ऊर्जा संरक्षण: सतत भविष्य पर चर्चा की एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ के ईसीई विभाग की सहायक प्रोफेसर-II डॉ. पल्लवी अस्थाना कार्यक्रम की मुख्य वक्ता थीं। उन्होंने ‘ऊर्जा संरक्षण: सतत् भविष्य की दिशा में एक कदम’विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। डॉ. अस्थाना ने ऊर्जा-दक्ष तकनीकों के उपयोग, कार्बन फुटप्रिंट कम करने के उपायों, नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते महत्व और उद्योगों व घरों में ऊर्जा संरक्षण के व्यावहारिक तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि देश को विकसित भारत 2047 की दिशा में आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम है ऊर्जा संरक्षण के प्रमुख उद्देश्यों के बारे में बताया कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के प्रमुख उद्देश्यों पर भी चर्चा की गई। इनमें ऊर्जा-दक्ष तकनीकों को बढ़ावा देना, ग्रीनहाउस गैसों और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना, सौर और पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाना, तथा व्यक्तियों, उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों में ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना शामिल है। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के पूर्व अध्यक्ष इं. मसर्रत नूर खान ने किया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण केवल पर्यावरण सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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