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बगहा में किसान ने शुरू की काले आलू की खेती:शुगर-फ्री के साथ पोषक तत्वों से भरपूर; सामान्य आलू से दस गुना बाजार भाव

बगहा के दरुआबारी गांव में किसान राजेश्वर प्रसाद ने काले आलू की खेती शुरू की है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पास स्थित इस गांव में यह अनोखी पहल चर्चा का विषय बनी हुई है। राजेश्वर ने यह कदम अपने बड़े भाई रमेश महतो की शुगर बीमारी के कारण उठाया। रमेश महतो, जो संतपुर सोहरिया पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि हैं, उन्हें डॉक्टरों ने सामान्य आलू खाने से परहेज करने की सलाह दी थी। राजेश्वर प्रसाद ने लगभग आधा एकड़ भूमि पर काले आलू की खेती की है। उन्होंने नरकटियागंज स्थित कृषि भवन से लगभग 100 रुपए प्रति किलोग्राम की अनुदानित दर पर बीज खरीदे थे। इस नई किस्म की फसल ने आसपास के किसानों का ध्यान आकर्षित किया है। पिछले कुछ हफ्तों में सैकड़ों किसान उनके खेत पर खेती की विधि देखने और समझने पहुंचे हैं। जिब्रालिक अमाइनो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी काला आलू पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें सामान्य आलू की तुलना में कई गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। यह आयरन का भी अच्छा स्रोत है, जिससे शरीर में खून की कमी दूर करने में लाभ मिलता है। इसमें जिब्रालिक अमाइनो नामक तत्व भी पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। काला आलू शुगर के लिए लाभकारी कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, काला आलू शुगर और हृदय रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है। स्वाद के मामले में भी इसे सामान्य आलू से बेहतर माना जाता है। इसका उपयोग पकौड़े, समोसे और अन्य कई व्यंजनों में किया जा सकता है। बाजार में काले आलू का मूल्य सामान्य आलू से लगभग दस गुना अधिक बताया जा रहा है। इससे किसानों की आय में वृद्धि की संभावना है। दरुआबारी गांव में शुरू हुई यह खेती अब क्षेत्र के किसानों के लिए नई आर्थिक संभावनाएं खोल रही है।


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