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‘वैभव की बैटिंग देख लारा, गेल सिर पकड़ लेते हैं’:दादा बोले- एक दिन सीनियर टीम में खेलेगा, अभी तो 14 साल का ही है, सारे रिकॉर्ड टूटेंगे

‘वैभव का सीनियर टीम में सिलेक्शन तो पक्का है, आज नहीं तो कल मेरा पोता सीनियर टीम इंडिया में जरूर शामिल होगा। जहां तक सवाल है कि कब शामिल होगा तो ये न तो मेरे हाथ में है, न आपके और न वैभव के हाथ में। पिछले मैच में उसका प्रदर्शन देकर गर्व हो रहा है। मेरा पोता अब सिक्सर किंग बन गया है, उसकी उम्र अभी तो 14 साल ही है, आगे क्या करेगा, इसका इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब ब्रायन लारा, क्रिस गेल उसे खेलता देख माथा पकड़ लेते हैं कि हमारा रिकार्ड टूटने वाला है।’ ये बातें क्रिकेट एशिया कप अंडर-19 में बल्लेबाजी से धूम मचाने वाले वैभव सूर्यवंशी के बड़े दादा 83 साल उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कही। दरअसल, शुक्रवार को दुबई में खेले गए अंडर-19 क्रिकेट एशिया कप के मैच में वैभव ने UAE के खिलाफ 14 सिक्स लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। वैभव ने 95 गेंदों पर 171 रन बना दिए। इस पारी में वैभव ने 14 छक्के और 9 चौके के सहारे 180 के स्ट्राइक रेट से बैटिंग की। इसी के साथ वे यूथ वनडे में सबसे ज्यादा सिक्स लगाने वाले बल्लेबाज बन गए। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के माइकल हिल का 2008 में बना 12 सिक्स वाला रिकॉर्ड तोड़ दिया। वैभव सूर्यवंशी समस्तीपुर के ताजपुर के रहने वाले हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने वैभव के बड़े दादा और पड़ोसियों से बातचीत की। हालांकि, घर पर वैभव के माता-पिता भी थे, लेकिन किसी कॉन्ट्रैक्ट का हवाला देकर उन्होंने मीडिया से बातचीत करने से इनकार कर दिया। वैभव के बारे में उनके बड़े दादा और पड़ोसियों ने क्या कहा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट…. ‘वैभव बचपन से ही मेहनती है, क्रिकेट के प्रति उसे जुनून है’ वैभव के दादा ने कहा कि अब तो सभी लोग वैभव को जानने लगे हैं, उसका मैच देखने लगे हैं। मैं तो यही चाहता हूं कि वैभव हर मैच में अच्छा करे, क्रिकेट और अपनी बैटिंग को अलग स्तर पर लेकर जाए। वर्ल्ड क्रिकेट अपना, बिहार और समस्तीपुर के ताजपुर का खूब नाम करे। उपेंद्र सिंह बताते हैं कि वैभव बचपन से ही मेहनती है, क्रिकेट के प्रति उसे जुनून है, लगाव है। वैभव का क्रिकेट छोड़कर किसी भी काम में मन नहीं लगता है। बचपन में भी जब वैभव को पढ़ाई के लिए कहा जाता था, तो वो बैट लेकर भागने लगता था। जब घर के लोगों को लगा कि इसे क्रिकेट खेलने देना चाहिए, तो शुरुआत में उसके पिता ही वैभव को प्रैक्टिस कराने लगे। वैभव का जुनून ऐसा था कि वो सुबह साढ़े चार से पांच बजे उठ जाता था। एक्सरसाइज करके अगर पढ़ाई का मन हुआ तो पढ़ा नहीं तो घर के बाहर बने पिच पर ही पिता के साथ प्रैक्टिस करने लगता था। मुझे तो पूरी उम्मीद है कि एक दिन मेरा पोता सीनियर टीम इंडिया में जरूर खेलेगा। ‘हमें लगा कि वैभव इतिहास रचेगा, ऐसा ही हुई भी’ वैभव सूर्यवंशी के पड़ोसी संजय नायक ने कहा कि शुक्रवार को पूरे बिहार, समस्तीपुर के ही नहीं वैभव के फैंस टीवी देख रहे होंगे। मैं तो पारिवारिक सदस्य जैसा हूं, मैं भी मैच देख रहा था, शुरुआत के 10-20 गेंद जिस हिसाब से वैभव ने खेली, मुझे लग गया था कि आज कोई इतिहास रचा जाना है, हुआ भी ऐसा ही। 14 साल की उम्र में वैभव ने सबसे ज्यादा छक्के लगाने का रिकार्ड तोड़ ही दिया। वैभव पूरे मैच में एक-एक शॉट से इतिहास की ओर बढ़ रहा था। संजय ने कहा कि इंटरनेशनल लेवल पर पहचान बनाने वाले वैभव की सफलता का पूरा श्रेय उनके पिता संजीव सूर्यवंशी को जाता है, जो खुद क्रिकेट के प्लेयर रहे हैं, क्रिकेट की उन्हें अच्छी समझ भी है। वैभव का जब भी मैच होता है, मानों ताजपुर में दिवाली मनाई जाती है। ‘BCCI को वैभव की फॉर्म का फायदा उठाना चाहिए’ वैभव सूर्यवंशी के एक और पड़ोसी दीपक ने कहा कि वैभव का मैच और बैटिंग देखकर मैं कह सकता हूं कि वो जिस तरह के फॉर्म में है, उसकी बैटिंग में गहराई है और इसका फायदा बीसीसीआई को उठाना चाहिए। टीम इंडिया में जो अभी की स्थिति है, ओपनर चल नहीं रहे हैं, अगर वैभव को मौका मिलेगा तो वे पूरी टीम की बैटिंग का 50 फीसदी काम अकेले कर देंगे। उनके बाद दूसरे, तीसरे नंबर पर आने वाले बल्लेबाजों पर प्रेशर कम होगा। वैभव के सामने कोई भी गेंदबाज हो, वो प्रेशर में नहीं आता, बल्कि बॉलर ये सोचते रहते हैं कि आखिर वैभव का विकेट कब मिलेगा। दीपक ने कहा कि वैभव की बैटिंग और उसके फैंस की दीवानगी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि शुक्रवार के मैच में जब वैभव आउट हुआ तो यूएई का गेंदबाज वैभव के पास आया और उसका पीठ थपथपाया। बचपन के कोच बोले- चिलचिलाती धूप में रोज करता था प्रैक्टिस वैभव समस्तीपुर के पटेल मैदान में प्रैक्टिस करता था। उसके बचपन के कोच ब्रजेश ने बताया कि ‘वैभव काफी मेहनत करता था। उसका एकेडमी में 5 से 6 घंटे स्पेशल टाइम रहता था। इस दौरान सीनियर भी उसके साथ प्रैक्टिस करते थे। गर्मी के महीने में भी सुबह 10 बजे से शाम 3:30 बजे तक वह अपने सेशन में प्रैक्टिस करता था, जिसका रिजल्ट आज हमें देखने को मिल रहा है। लगातार वह इतिहास रच रहा है। वह बहुत जल्द ही इंडियान टीम का हिस्सा बनेगा। 27 मार्च 2011 को जन्मे वैभव ने 5 साल की उम्र में उठाया था बल्ला वैभव का जन्म 27 मार्च 2011 को समस्तीपुर के ताजपुर में हुआ था। वह बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। वैभव ने 5 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। वे घर पर ही 2 साल तक क्रिकेट खेलते रहे। 7 साल की उम्र में पिता समस्तीपुर के क्रिकेट एकेडमी में लेकर गए। वैभव ने यहां 3 साल तक खेला। फिर उनके पिता उन्हें पटना के संपतचक स्थित जेन एक्स क्रिकेट एकेडमी में लेकर आ गए। 10 साल की उम्र में ही वैभव ने बड़े-बड़े मैच खेले और रन बनाने भी शुरू कर दिए। पिता ने जमीन बेचकर क्रिकेट एकेडमी जॉइन कराई वैभव सूर्यवंशी बिहार के समस्तीपुर जिले के ताजपुर के रहने वाले हैं। 27 मार्च 2011 को जन्मे वैभव ने 9 साल की उम्र में अपने पिता संजीव के गाइडेंस में क्रिकेट खेलना शुरू किया। अपने बेटे का क्रिकेट के प्रति लगाव देखकर संजीव ने वैभव की ट्रेनिंग के लिए जमीन बेच दी। उन्होंने जेनिथ क्रिकेट एकेडमी समस्तीपुर से ट्रेनिंग शुरू की। वैभव के कोच के मुताबिक, उनके पिता संजीव उन्हें मैच दिखाने के लिए हर दूसरे दिन 100 किमी दूर ले जाते थे। वैभव जब भी एक्स्ट्रा ट्रेनिंग करते थे उनके पिता संजीव उनके अलावा सभी 10 साथी खिलाड़ियों के लिए भी टिफिन पैक करके लाते थे, क्योंकि उसके साथी गेंदबाज उसे बॉलिंग करने के लिए एक्स्ट्रा टाइम देते थे। उम्र को लेकर विवाद में घिरे वैभव की उम्र को लेकर चर्चाएं होती रही हैं। कुछ रिपोर्टों में ये दावा किया गया है कि उनकी उम्र और उनके स्टेटमेंट में फर्क है। हालांकि, उनके पिता ने उनकी सही उम्र के लिए मेडिकल टेस्ट करवाया जिसके मुताबिक उनकी उम्र को सही मान लिया गया है। वैभव के स्टेट कोच प्रमोद कुमार ने अपने एक इंटरव्यू में उन्हें एक शांत लड़का बताया जो अपने क्रिकेट से प्यार करता है। उनके मुताबिक, वह उस तरह के खिलाड़ी हैं जो क्रिकेट खेलने के लिए धरती पर आए हैं। उन्हें किसी और चीज की जरूरत नहीं है।


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