‘14 साल की उम्र में घर छोड़कर चला गया। कहा था मैं कचरे में रहने वाला नहीं। किसी से मतलब नहीं रखता है। मां हूं। मैंने पैदा किया, लेकिन मुझे भी नहीं मानता है। पिता मर गए, लौटकर नहीं आया। 5 साल हो गए।’ जहरी देवी इतना कहकर चुप हो जाती हैं। उनकी आंखों में गुस्सा और बेबसी साफ दिखती है। फिर कहती हैं, ‘मैंने कचरे में बेटे को पैदा किया। कोई बेटा मां को इस तरह कहता है।’ जहरी देवी यूपी के गोरखपुर में गिरफ्तार हुए फर्जी IAS गौरव कुमार सिंह उर्फ ललित किशोर राम की मां हैं। ललित मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी के मेहसौल थाना क्षेत्र के सुंदर नगर के वार्ड नंबर 37 का रहने वाला है। यहां एक झोपड़ी में उसकी मां रहती हैं। इसी घर में वह पैदा हुआ। गरीबी से नफरत इस कदर कि 14 साल की उम्र में घर छोड़कर चला गया। पिता मरे तो देखने तक नहीं आया। भास्कर की टीम सीतामढ़ी के सुंदर नगर पहुंची। हमने ललित किशोर का घर देखा, उनकी मां से बातचीत की। जाना कि गरीब घर में पैदा हुआ एक लड़का कैसे इतना बड़ा ठग बना। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट… झोपड़ी में पैदा हुआ, पिता करते थे जूता पॉलिश सीतामढ़ी के मेहसौल थाना क्षेत्र के सुंदर नगर पहुंचने के बाद हमने एक स्थानीय व्यक्ति से पूछा कि गौरव कुमार सिंह का घर कहां है? उन्होंने जवाब दिया, यहां कोई गौरव कुमार नहीं है। आपको किसके घर जाना है? जब हमने ललित किशोर नाम लिया तो बताया, हां उसका घर आगे है। चंद कदम आगे बढ़ने पर हम ललित के घर पहुंचे। हमने देखा कि फूस से बनी झोपड़ी है। बारिश का पानी घर में नहीं गिरे, इसके लिए काली पॉलिथीन लगाई है। बांस की फट्टी से बनी दीवार पर मिट्टी लगाई गई है। इसे सुंदर दिखाने के लिए चूने का घोल छिड़का गया है। जैसे ही हम पहुंचे आसपास के कुछ लोग जुट गए। वे जानना चाह रहे थे कि आखिर ललित ने क्या किया है? गांव के बहुत से लोगों को पता था कि ललित फर्जी आईएएस बनकर ठगी कर रहा था। वहीं, कुछ ऐसे लोग भी मिले, जो उसके काले कारनामों से अनजान थे। ललित की मां और उसके भाई मजदूरी करते हैं। उसके पिता जूता पॉलिश करते थे। 5 साल पहले उनकी मौत हो गई। 14 साल की उम्र में घर छोड़ा, फिर लौटकर नहीं आया हमने ललित की मां जहरी देवी से बात की। उन्होंने कहा, ‘वह 14 साल की उम्र में घर छोड़कर चला गया। एक कोचिंग खोला था। उसी जगह डेरा लेकर रहने लगा। कहता था कि कचरे में नहीं रहूंगा। वह हमलोगों से मतलब नहीं रखता है।’ ललित के बारे में पता है? वह गिरफ्तार हुआ है? इस सवाल पर जहरी देवी ने कहा, ‘नहीं, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता। वह फोन भी नहीं करता। कहां रहता है। क्या करता है। मैं नहीं जानती।’ ललित को नहीं परिवार से मतलब, बाहर क्या करता है नहीं पता हमने ललित के चचेरे भाई राजकिशोर से बात की। उन्होंने कहा, ‘वह पढ़ा लिखा था। मैं तो अंगूठा छाप हूं। वह क्या करता है, क्या नहीं। मुझे कुछ नहीं पता। मजदूरी कर घर चलाता हूं। बचपन में ललित का व्यवहार सही था, अब कैसा है, हमलोगों को नहीं मालूम। मां, भाई, बहन, उसे किसी से मतलब नहीं। ललित की चचेरी भाभी संगीता देवी ने बताया, ‘वह पहले कोचिंग में पढ़ाता था। यहां हमने कोई गलत काम करते नहीं देखा। अपने घर में रहना उसे पसंद नहीं था।’ कोचिंग शिक्षक से ‘समाजसेवी’ बनने का सफर हमने ग्रामीण रविंदर कुमार से बात की। उन्होंने कहा, ‘ललित ने स्थानीय मध्य विद्यालय मांगुराहा में आठवीं तक पढ़ाई की। वह शुरू से पढ़ने में तेज था। बच्चों को पढ़ाने के लिए कोचिंग खोली। गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए लोगों से चंदा लेता था। मैंने भी 500 रुपए दिए थे। प्रखंड विकास पदाधिकारी से भी चंदा लेकर बच्चों को पढ़ाता था।’ उन्होंने कहा, ‘कोचिंग में पढ़ाने के लिए प्रति बच्चा 150 रुपए फीस लेता था। गरीब बच्चों से फीस नहीं लेता था। कॉपी-किताब बांटना, मेधावी छात्रों को सम्मानित करना, जैसे काम कर इलाके में अपनी अच्छी छवि बनाई थी।’ इसी बीच एक ग्रामीण ने बताया, ‘ललित आकांक्षा नामक संस्था से जुड़ा था। वह स्कूलों में जाकर बच्चों को कॉपी-पेंसिल बांटता था। जिला के डीआईयू अधिकारी से 1 लाख रुपए चंदा लिया था। वह आईएएस अधिकारी बनना चाहता था।’ ललित किशोर राम से गौरव सिंह बनकर करने लगा ठगी हमने इसी गांव में रहने वाले किशोरी राय से बात की। उन्होंने बताया कि 2022 से पहले ललित एक थाना में मुंशी का काम करता था। इसी दौरान उसके जैसी शक्ल वाले IAS अधिकारी कुमार गौरव की पोस्टिंग सीतामढ़ी में हुई थी। किशोरी राय ने कहा, ‘ललित ने उनका नाम चुरा लिया। ललित किशोर राम से खुद को गौरव कुमार सिंह बताने लगा। बाहर के लोगों को खुद को आईएएस अधिकारी बताता था। सरकारी गाड़ियां, नेम प्लेट, विजिटिंग कार्ड और अफसर की तरह बोलकर लोगों को प्रभावित करता था।’ ललित के फर्जी आईएएस बनकर ठगी करने में उसकी पत्नी के भाई अभिषेक कुमार का भी हाथ है। ललित ने रीगा थाना क्षेत्र के रामनगर की लड़की से लव मैरिज किया था। हमने राम नगर में रहने वाले विनय कुमार से बात की। उन्होंने कहा, ‘अभिषेक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहा है। वह ललित के लिए फर्जी आईडी कार्ड, सरकारी पत्र, टेंडर और दस्तावेज तैयार करता था। ललित उसे “स्टेनो बाबू” कहता था।’ बचपन में पढ़ने में तेज था ललित, बनना चाहता था IAS अधिकारी हमने ललित के परिवार के पड़ोस में रहने वाले उपेंद्र कुमार से बात की। उन्होंने कहा, ‘ललित पढ़ने में काफी तेज था। बहुत अच्छा लड़का था। उसमें बहुत टैलेंट था। आईएएस बनना चाहता था, नहीं बन सका तो ऐसा गलत काम किया है।’ ललित जिस स्कूल (राजकीय मध्य विद्यालय मांगुराहा) में पढ़ता था उसकी सचिव बिंदु देवी ने बताया, ‘वह पढ़ाई में काफी अच्छा था। उसमें आगे बढ़ने की ललक थी। यहां आठवीं तक पढ़ा। स्कूल का समय पूरा होने पर भी शिक्षकों के साथ बैठकर पढ़ता था।’ हमने ग्रामीण किशोरी राय से बात की। उन्होंने कहा, ‘ललित ने 2022 में गांव से 3-4km दूर फोरलेन के नजदीक करीब 1 बीघा जमीन खरीदा था। 4-5 महीने पहले उसने यह बात बताई थी। एक लड़के ने मुझे बताया था कि ललित ने भागलपुर में कोई कांड कर 4-5 कट्ठा जमीन लिया था। भागलपुर से ठगी के बाद पुलिस उसे खोज रही थी।’ स्कूल में पढ़ाने आया, करने लगा कोचिंग का प्रचार एक शिक्षक ने ललित को लेकर हमसे बात की। कहा, ‘3-4 साल पहले वह हमारे स्कूल में आया था। उसके लिए एक अधिकारी ने फोन कर पैरवी की थी। बताया था कि उसे अनुभव की जरूरत है। कुछ दिन अपने स्कूल में पढ़ाने दीजिए।’ शिक्षक ने कहा, ‘ललित ने 2-4 दिन स्कूल में पढ़ाया। इसके बाद हमारे स्कूल में अपने कोचिंग का प्रचार करने लगा। यह देखकर हमने उसे हटा दिया था।’ ललित ने बांका से शुरू की थी ठगी पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार ललित ने 2017 में बांका जिले से ठगी शुरू की थी। आदित्य सुपर-50 नाम से कोचिंग संस्थान खोलकर गरीब छात्रों को मुफ्त पढ़ाने का झांसा दिया। शिक्षा विभाग से पत्र निकलवाकर सरकारी स्कूलों में परीक्षाएं तक आयोजित करवाई। भरोसा इतना मजबूत हुआ कि लोग बिना सवाल किए पैसे देने लगे। जब भरोसा पूरी तरह जम गया तब नौकरी, बीएड और कॉलेज एडमिशन के नाम पर मोटी रकम वसूली। अकेले बांका जिले में करीब दो करोड़ रुपए से अधिक की ठगी का अनुमान है। यहां तक कि मकान मालिक से भी करीब 10 लाख रुपए लेकर 1 मई 2023 की रात फरार हो गया था।
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