शेखपुरा में शनिवार को जिला न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। लोक अदालत में विभिन्न प्रकृति के कुल 480 मामलों का आपसी सहमति के आधार पर निपटारा किया गया। इस दौरान न केवल वर्षों से लंबित विवाद सुलझे, बल्कि लाखों रुपए की वसूली भी की गई। लोक अदालत को लेकर न्यायालय परिसर में दिनभर चहल-पहल और उत्साह का माहौल बना रहा। प्रधान जिला जज ने किया लोक अदालत का उद्घाटन राष्ट्रीय लोक अदालत का विधिवत उद्घाटन जिला न्यायालय परिसर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार तिवारी ने किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी शेखर आनंद, पुलिस अधीक्षक बलिराम कुमार चौधरी, कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सर्वेंद्र प्रताप सिंह, स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष कुमुद रंजन सिंह, जिला विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह, महासचिव विपिन कुमार, संयुक्त सचिव चंद्रमौली यादव सहित लोक अदालत के लिए गठित सभी पीठों के न्यायिक पदाधिकारी, बैंक प्रबंधक, अधिवक्ता और न्यायालय कर्मी उपस्थित रहे। 480 मामलों का हुआ निपटारा, बैंक मामलों की रही संख्या अधिक राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 480 मामलों का निष्पादन किया गया। इनमें सबसे अधिक 294 मामले बैंकों से संबंधित थे। बैंक मामलों में भारतीय स्टेट बैंक के 123, केनरा बैंक के 65, पंजाब नेशनल बैंक के 26 और ग्रामीण बैंक के 9 मामले शामिल थे। इसके अलावा नियमित न्यायालय में लंबित 148 मामलों का भी आपसी सहमति के आधार पर निपटारा किया गया। वहीं 16 मामले बिजली बिल से जुड़े थे और 5 मामले टेलीफोन बिल से संबंधित थे, जिनका समाधान लोक अदालत में किया गया। डेढ़ करोड़ से अधिक की वसूली लोक अदालत के दौरान बैंकों द्वारा एक करोड़ 51 लाख 03 हजार 282 रुपये का समझौता किया गया, जिसमें से बड़ी राशि की वसूली मौके पर ही की गई। इसके साथ ही बिजली बिल, टेलीफोन बिल और न्यायालय से संबंधित मामलों में भी 3 लाख 62 हजार 500 रुपये की वसूली की गई। लोक अदालत के माध्यम से हुई इस वसूली को प्रशासन और बैंक अधिकारियों ने बड़ी उपलब्धि बताया। ‘लोक अदालत गरीबों और वंचितों के लिए न्याय का सरल मंच’ उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान जिला जज संतोष कुमार तिवारी ने लोगों से राष्ट्रीय लोक अदालत का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोक अदालत गरीबों और वंचितों को न्याय प्राप्त करने का एक सरल और सुगम मंच है।उन्होंने कहा, “यहां न लंबी दलील होती है और न ही अपील की प्रक्रिया। केवल आपसी सहमति से न्याय प्राप्त होता है।” उन्होंने बताया कि लोक अदालत में निपटाए गए मामलों से पक्षकारों के बीच सौहार्द कायम होता है और नियमित न्यायालय में लगने वाले समय की भी बचत होती है। साथ ही लोक अदालत में किसी प्रकार का खर्च भी नहीं देना पड़ता। ‘लोक अदालत हमारी संस्कृति से जुड़ी अवधारणा’ उद्घाटन समारोह में जिलाधिकारी शेखर आनंद ने कहा कि लोक अदालत की अवधारणा कोई नई नहीं है, बल्कि यह हमारी सभ्यता और संस्कृति से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि पहले भी समाज में विवादों का निपटारा पंचायतों के माध्यम से आपसी सहमति से किया जाता था। उन्होंने कहा कि लोक अदालत उसी परंपरा का आधुनिक स्वरूप है, जो आज भी समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। न्यायालय परिसर में दिखा उत्साह राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर न्यायालय परिसर में दिनभर विशेष उत्साह देखने को मिला। बड़ी संख्या में वादकारी अपने-अपने मामलों के निपटारे के लिए पहुंचे। वर्षों से लंबित मामलों के सुलझने से लोगों के चेहरे पर संतोष और राहत साफ नजर आई। कुल मिलाकर, शेखपुरा में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने एक बार फिर यह साबित किया कि आपसी सहमति और संवाद के जरिए त्वरित, सस्ता और प्रभावी न्याय संभव है।
https://ift.tt/xU6jEga
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply