जनपद न्यायालय परिसर में शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जनपद न्यायाधीश रामसलीन सिंह ने इसकी अध्यक्षता की। इस दौरान कुल 94,693 वादों का निस्तारण किया गया और लगभग 29 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया। प्रशासनिक न्यायाधीश नंद प्रभा शुक्ला ने दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत का महत्व राष्ट्रीय पर्व के समान है। उनका प्रयास था कि अधिक से अधिक वादकारियों को लाभ मिले और उनके मामलों का विधिनुसार निस्तारण हो। राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के मामलों का सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारण किया गया। इनमें आपराधिक शमनीय वाद, धारा-138 एनआई एक्ट के वाद, बैंक वसूली वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाएं, पारिवारिक वाद, श्रम वाद, भूमि अधिग्रहण वाद, विद्युत एवं जल बिल से संबंधित विवाद (गैर-समझौता योग्य को छोड़कर), वेतन एवं भत्तों से संबंधित सेवा विवाद, सेवानिवृत्तिक लाभों से संबंधित विवाद, राजस्व वाद (उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालयों में लंबित) और अन्य सिविल वाद (किराया, मुख्तारनामा, विशिष्ट अनुतोष) शामिल थे। प्री-लिटिगेशन मामलों को भी निपटाया गया। न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला ने न्यायालयों और बैंकों द्वारा लगाए गए स्टालों का निरीक्षण किया। उन्होंने वहां उपस्थित बैंक प्रतिनिधियों का उत्साहवर्धन किया और उनसे अधिक से अधिक लोगों को लाभ देकर मामलों का निस्तारण करने का आह्वान किया। राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालयों द्वारा कुल 3,870 मामलों का निस्तारण किया गया। इनमें जनपद एवं सत्र न्यायालय में रामसुलीन सिंह द्वारा तीन वाद, एमएसीटी कोर्ट में अशोक कुमार द्वारा 54, स्थायी लोक अदालत में नरेंद्र बहादुर प्रसाद द्वारा तीन, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में एक, विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) अमित वीर सिंह द्वारा दो, जितेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत में 93, विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी) आबिद शमीम की अदालत में 13, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक यादव की अदालत में 2,597, सिविल जज सी.डि./एफ.टीसी राहुल की अदालत में 229 और सिविल जज जू.डि. यादवेन्द्र सिंह के न्यायालय में 88 मामले शामिल थे।
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