घाटमपुर में राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर शनिवार को राजस्व प्रशासन ने एक अनूठी पहल की। इस दौरान तहसील न्यायालय से शुरू हुआ न्याय का अभियान खेतों की मेड़ों तक पहुंचा, जहां वर्षों से लंबित भूमि विवादों का मौके पर ही समाधान किया गया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, तहसील न्यायालय में बंटवारा वाद, अभिलेख दुरुस्ती और विवादित वरासत से संबंधित मामलों की सुनवाई हुई। अधिवक्ताओं और फरियादियों की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 32 और 38 के तहत कई प्रकरणों का निस्तारण किया गया। इसके बाद उपजिलाधिकारी घाटमपुर अविचल प्रताप सिंह ने “आम आदमी को खेत की मेड़ पर न्याय” की अवधारणा को साकार करते हुए तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांवों का लगभग 100 किलोमीटर का भ्रमण किया। उन्होंने लंबे समय से लंबित बंटवारा वादों को चिह्नित किया और मौके पर ही पक्षकारों की मौजूदगी में सुनवाई की। सहमति बनने पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 116 और 117 के तहत निर्णय पारित किए गए। इस प्रक्रिया में कुल 14 विवादित बंटवारा वादों का निस्तारण हुआ, जिनमें से कई मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित थे। खेतों पर ही फैसला होने से पक्षकारों में संतोष और न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा। इसी कड़ी में तहसीलदार अंकिता पाठक ने “प्रशासन आपके ग्राम” अभियान के तहत ग्राम हरबसपुर और धमना बुजुर्ग का दौरा किया। उन्होंने 11 विवादित वरासत मामलों की जांच कर उनका मौके पर ही निस्तारण कराया, जिससे ग्रामीणों को तहसील और न्यायालय के चक्कर लगाने से राहत मिली। इसके अतिरिक्त, नायब तहसीलदारों के न्यायालयों में भी विभिन्न प्रकरणों का समाधान किया गया। उपजिलाधिकारी अविचल प्रताप सिंह ने इस पहल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आम व्यक्ति को कानूनी प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी नहीं होती। उन्होंने बताया कि यदि उसे उसकी जमीन पर, उसकी उपस्थिति में सुना जाए, तो न्याय सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनता है। इससे प्रशासन और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है और न्यायिक फैसलों पर भरोसा बढ़ता है।
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