उन्नाव। जिलाधिकारी गौरांग राठी ने कलेक्ट्रेट स्थित पन्नालाल सभागार में अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री कृषि धन-धान्य योजना की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में उन्होंने ऊसर भूमि के सुधार, ड्रोन तकनीक के उपयोग, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और कृषि से जुड़े अवसंरचनात्मक विकास पर विशेष जोर दिया। जिलाधिकारी ने जनपद में ऊसर भूमि सुधार के लिए एक बेहतर कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने अब तक हुए कार्यों की रिपोर्ट, सुधार की वास्तविक स्थिति और आगामी महीनों के लिए लक्ष्य-आधारित कार्य पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऊसर भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों और विभागीय समन्वय की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को तेजी से लागू करने पर भी जोर दिया। जिलाधिकारी ने कहा कि आलू उत्पादक किसानों के खेतों में प्राथमिकता के आधार पर ड्रोन डेमो कराए जाएं। इसके साथ ही आलू उत्पादन वाले ग्रामों को ड्रोन सखी/ड्रोन दीदी से जोड़ा जाए, ताकि किसान फसल छिड़काव से लेकर सर्वेक्षण तक आधुनिक तकनीक का लाभ उठा सकें। उन्होंने ड्रोन दीदी द्वारा चौपाल लगाकर किसानों को जागरूक करने का भी निर्देश दिया। बैठक में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में कृषि सखियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि कृषि सखियों के माध्यम से प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का डेटा तैयार किया जाए और उन्हें इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित होने वाले किसानों को लगातार तकनीकी सहायता प्रदान की जाए। जिलाधिकारी ने मनरेगा कन्वर्जेंस के तहत ग्राम पंचायतों के तालाबों के जीर्णोद्धार और उनके पट्टे कराकर किसानों को मछली पालन के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए। इस पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों की आय दोनों को बढ़ावा मिलेगा। आम उत्पादक किसानों के लिए अवसंरचना निर्माण पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिलाधिकारी ने जिला उद्यान अधिकारी को आम के लिए मिनी पैक हाउस और आम मंडी का प्रस्ताव शासन को भेजने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्य आम की अगली फसल के सीजन से पहले पूरा हो जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने उप निदेशक कृषि को अधिक संख्या में ड्रोन सखी तथा कृषि सखी के चयन व प्रशिक्षण पर जोर दिया। साथ ही मृदा परीक्षण अभियान को गति देने, अधिक सैंपल एकत्र करने और रिपोर्ट के आधार पर मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के निर्देश दिए, ताकि किसानों की पैदावार में वृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
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