गोरखपुर में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में नए टेंडर के बाद बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों की छंटनी से बिजली कर्मचारियों में गहरा आक्रोश पैदा हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इसे मनमाना कदम बताते हुए कहा कि निगम की कार्य प्रणाली प्रभावित हो रही है और कर्मचारियों में अस्थिरता बढ़ रही है। समिति ने एस्मा लागू किए जाने का कड़ा विरोध किया और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया। नए टेंडर के बाद मनमानी छंटनी
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पुष्पेंन्द्र सिंह, जीवेश नन्दन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, ओम गुप्ता, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह और राकेश चौरसिया ने कहा कि निगम में हर दिन हजारों संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है। इससे कार्य माहौल अस्त-व्यस्त हो गया है और तैनात कर्मचारियों पर अतिरिक्त भार बढ़ गया है। लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया
समिति ने अति आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) लगाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि बिजली क्षेत्र में पिछले 25 वर्षों से लगातार एस्मा लागू है। अब राज्य कर्मचारियों, स्थानीय निकायों और निगमों के कर्मचारियों को भी इसके दायरे में लाना अधिकारों का दमन है। समिति ने इसे सरकार का अनुचित और एकतरफा निर्णय बताया। मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संविदा कर्मियों की छटनी रोकने की अपील की। कहा कि मई 2017 के आदेश में शहरी क्षेत्र के उपकेंद्रों पर 36 और ग्रामीण क्षेत्रों में 20 कर्मचारियों की तैनाती का प्रावधान है, लेकिन नए टेंडर में इसकी अनदेखी करते हुए 48% तक संविदा कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग पर सवाल- निजीकरण की आशंका गहरी
समिति ने दावा किया कि वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग की विफलता के बाद भी निगम प्रबंधन इसे अन्य शहरों में लागू करने की कोशिश कर रहा है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य बिजली वितरण प्रणाली को डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी को सौंपना बताया जा रहा है। समिति ने कहा कि यह न केवल मौजूदा पदों को समाप्त करेगा बल्कि बिजली व्यवस्था को भी कमजोर करेगा। कई जिलों में पद समाप्त करने की तैयारी
समिति ने बताया कि भदोही, मिर्जापुर, आजमगढ़, मऊ, फतेहपुर के अलावा अब सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव और हरदोई में भी वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग कर पदों को समाप्त करने की तैयारी है। समिति ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण की दिशा में प्रदेश की बिजली व्यवस्था को गंभीर खतरे में डाल रहा है। 3705 संविदा कर्मियों की छंटनी से नाराजगी चरम पर
समिति द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वाराणसी में 417, कुशीनगर में 450, बस्ती में 453, गोरखपुर में 326, भदोही में 429, सोनभद्र में 535, प्रयागराज में 526 और कौशांबी में 569 संविदा कर्मियों को हटाया जा चुका है। करीब 3705 संविदा कर्मियों की छंटनी से कर्मचारी बेहद नाराज हैं और आंदोलन को तेज करने की तैयारी में हैं। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ चल रहा आंदोलन 380वें दिन भी जारी रहा। सभी जिलों में बिजली कर्मियों ने जोरदार प्रदर्शन किया और छंटनी रोकने, एस्मा वापसी तथा निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग दोहराई।
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