कैमूर, जिसे ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, इन दिनों धान उत्पादन के बावजूद किसानों की आर्थिक असुरक्षा से जूझ रहा है। जिले के किसान साल भर कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन कटाई के बाद सरकारी खरीद केंद्रों की सुस्ती उनके लिए बड़ी चुनौती बन जाती है। पैक्स और व्यापार मंडल के देर से सक्रिय होने के कारण किसान अपनी उपज कम दामों पर व्यापारियों और दलालों को बेचने को मजबूर हो जाते हैं। खुले बाजार में ये दलाल कटाई शुरू होते ही सक्रिय हो जाते हैं और किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। फंड की कमी का बहाना बनाकर खरीद टालते हैं – किसानों का आरोप किसानों का आरोप है कि सरकारी खरीद केंद्र या तो समय पर नहीं खुलते या फिर फंड की कमी का बहाना बनाकर खरीद टालते रहते हैं। इसके अतिरिक्त, बोड़ा (बारदाना) की कमी और भुगतान प्रक्रिया में देरी भी किसानों की परेशानी का मुख्य कारण है। ‘खरीद केंद्र समय पर खुलें, पर्याप्त बोड़ा उपलब्ध कराया जाए’ इन समस्याओं के बीच, किसानों की नजरें अब जिले के नए जिलाधिकारी नितिन कुमार सिंह पर टिकी हैं। किसानों को उम्मीद है कि नए डीएम इन मुद्दों को प्राथमिकता देंगे और समय पर खरीद शुरू कराकर उन्हें राहत दिलाएंगे। किसान मांग कर रहे हैं कि खरीद केंद्र समय पर खुलें, पर्याप्त बोड़ा उपलब्ध कराया जाए और भुगतान प्रक्रिया को सरल तथा त्वरित बनाया जाए, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।
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