औरैया। अपेक्षा महिला एवं बाल विकास समिति द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम के चौथे दिन महिला किसानों के लिए विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में पशुपालन, प्राकृतिक कीट प्रबंधन, दशपर्णी अर्क, ब्रह्मास्त्र और मृदा स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी गई। प्रशिक्षकों ने बताया कि प्राकृतिक खेती में उपयोग किए जाने वाले जैविक घोल कीट नियंत्रण में प्रभावी होते हैं। साथ ही, ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सत्र के दौरान महिलाओं को दशपर्णी अर्क और ब्रह्मास्त्र बनाने की विधि, आवश्यक सामग्री, सही मात्रा और छिड़काव के उपयुक्त समय के बारे में व्यावहारिक रूप से समझाया गया। प्रशिक्षकों ने जोर दिया कि ये जैविक विकल्प रासायनिक दवाइयों की तुलना में अधिक सुरक्षित और कम लागत वाले हैं। यह जानकारी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगी। प्रशिक्षण के दौरान मालेहपुर की प्रतिभागी सोनी ने पशुओं में होने वाली सामान्य बीमारियों के प्राकृतिक उपचार के संबंध में प्रश्न पूछा। इस पर प्रशिक्षक लाखन सिंह ने बुखार, कब्ज, कीड़े और भूख न लगने जैसी समस्याओं के लिए देसी उपचारों और जड़ी-बूटियों के उपयोग की विस्तृत जानकारी दी। महिलाओं ने इस जानकारी को ग्रामीण क्षेत्रों में तत्काल उपयोगी बताया। पूरे सत्र में महिलाएँ उत्साहित और सक्रिय रहीं। प्रतिभागियों ने साझा किया कि प्राकृतिक खेती और गौ-पालन दोनों ही स्वास्थ्य, पर्यावरण और आजीविका में सुधार लाने के सशक्त माध्यम हैं। इस प्रशिक्षण में प्रभा देवी, सरोज, मुन्नी, बबली, उर्मिला, सावित्री, पुष्पा, रिंकी, राजकुमारी, रचना, रामबेटी, मीना, शांति, संगीता, कुशमा, विमला सहित कुल 30 महिलाएं भाग ले रही हैं।
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