सुल्तानपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों ने प्राचार्य डॉ. सलील श्रीवास्तव पर समायोजन प्रक्रिया में अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद उन्हें मनमाने ढंग से निचले पदों पर समायोजित किया जा रहा है। शुक्रवार को कर्मचारियों ने जिलाधिकारी के नाम संबोधित शिकायत पत्र अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा। कर्मचारी बोले-न्यायालय के आदेश की अनदेखी शिकायत पत्र में सुरक्षा गार्ड, एएनएम और अन्य सहायक कर्मचारियों ने कहा है कि वे पहले महाविद्यालय में विभिन्न पदों पर कार्यरत थे, लेकिन मौजूदा प्रक्रिया में उन्हें उनके मूल पदों से नीचे के पदों पर डाला जा रहा है। उनका कहना है कि यह कार्रवाई कानूनी प्रावधानों और हाईकोर्ट के आदेशों के विपरीत है। प्रेम नारायण मिश्रा के आरोप सुरक्षा गार्ड प्रेम नारायण मिश्रा, जो 2019 से अवनी परिधि कंपनी के तहत तैनात थे, ने प्राचार्य और नई सुरक्षा सेवा प्रदाता कंपनी पर समायोजन में धांधली का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि 110 पदों के समायोजन में अनियमितताएं की गई हैं। मिश्रा ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश स्पष्ट हैं कि किसी भी कर्मचारी को समान पद पर समायोजित किया जाना चाहिए। इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा गार्ड के बजाय ‘सेंटी वर्कर’ (सफाई कर्मचारी/जमादार) पद की पेशकश की गई। “सफाई कर्मचारी का ही पद उपलब्ध है”-प्राचार्य का कथित बयान मिश्रा का कहना है कि प्राचार्य ने उन्हें बताया कि उनके पास फिलहाल सेंटी वर्कर के अलावा कोई अन्य पद उपलब्ध नहीं है। जबकि मिश्रा का दावा है कि आगामी सूची में सुरक्षा गार्ड और चपरासी के पद भी शामिल होने वाले हैं। उन्होंने 26 नवंबर को सफाई कर्मचारी के पद पर समायोजन से इनकार करते हुए एक पत्र भी सौंपा है। पहली सूची में समायोजन न होने पर नाराज़गी मिश्रा ने आरोप लगाया कि सरकारी आदेश में स्पष्ट है कि पुराने कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, फिर भी उन्हें पहली सूची में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वे कोरोना काल से पहले से ड्यूटी कर रहे हैं, बावजूद इसके उन्हें नजरअंदाज किया गया। ज्वाइनिंग तिथि को लेकर भी विवाद मिश्रा के अनुसार, उन्हें समायोजन सूची समय से एक दिन पहले मिली, जबकि सूची में ज्वाइनिंग तिथि 1 तारीख से दर्शाई गई थी। उन्होंने कहा कि जब वे इस बारे में प्राचार्य से मिलने गए तो प्राचार्य ने कथित तौर पर कहा—“घर का क्या कोई सफाई नहीं करता है?” 50 हजार रुपये मांगने और सेवा विस्तार का आरोप मिश्रा ने आरोप लगाया कि सूची जारी होने से पहले 50 हजार रुपये की मांग की गई थी। उनका कहना है कि सफाई कर्मचारी पद दिए जाने के बाद उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्राचार्य का रिटायरमेंट जनवरी में होना था, लेकिन उन्होंने “मोटी रकम देकर” दो साल का सेवा विस्तार प्राप्त किया है। मिश्रा के अनुसार, प्राचार्य ने उनसे कह-“मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
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