अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को गंभीर बीमारी होने की अफवाहें फिर से तेज हो गई हैं। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से बार-बार ट्रम्प के दाहिने हाथ पर बैंडेज और नीले-लाल निशान दिखाई दिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ट्रम्प किसी बीमारी से जूझ रहे हैं या तो उन्हें हाथ में कोई इंजेक्शन लग रहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन सभी अफवाहों को खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि ये निशान सिर्फ ज्यादा हैंडशेक करने की वजह से हैं। ट्रम्प हर दिन सैकड़ों-हजारों लोगों से हाथ मिलाते हैं, जिससे ऐसे निशान बन जाते हैं। इसके अलावा बढ़ती उम्र के कारण त्वचा पतली हो जाती है, जिससे मामूली दबाव या रगड़ से भी आसानी से नीला निशान (ब्रूइज) पड़ जाता है। वहीं, ट्रम्प ने अफवाहों को लेकर कहा कि वो पूरी तरह से परफेक्ट हैं। ये निशान ज्यादा काम करने और मेहनत करने के कारण बने हैं। ट्रम्प बोले- लोग मेरी उम्र और सेहत को लेकर झूठ फैला रहे यह पहली बार नहीं हुआ है। इसी साल 2025 के शुरुआती महीनों में भी (फरवरी-मार्च के आसपास) ट्रम्प के दाहिने हाथ पर बड़ा सा नीला-बैंगनी निशान दिखाई दिया था। उस समय भी फोटो वायरल हो गई थीं। तब भी व्हाइट हाउस ने यही स्पष्टीकरण दिया था कि राष्ट्रपति का रोज का रूटीन इतना व्यस्त होता है कि लगातार हैंडशेक करने से ऐसा हो जाता है। उस समय ट्रम्प ने खुद ट्रुथ सोशल पर लिखा था, “मैं बिल्कुल ठीक हूं, ये लोग बस मेरी उम्र और सेहत को लेकर झूठ फैला रहे हैं।” ट्रम्प बोले- टेस्ट करवाता हूं, यह मेरा कर्तव्य इस बार भी ट्रम्प ने बुधवार रात को लंबा पोस्ट लिखकर सभी अफवाहों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वे शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से परफेक्ट स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि उनसे ज्यादा मेहनत करने वाला कोई राष्ट्रपति आज तक नहीं हुआ, और जो मीडिया उनके स्वास्थ्य पर सवाल उठा रहा है, वो फेक न्यूज फैला रहा है। ट्रम्प ने इसे “सेडिशन (राजद्रोह) कहा। ट्रम्प ने आगे कहा, ‘मैं वाल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर में डॉक्टरों की देखरेख में लंबे, गहन और बेहद थकाने वाले टेस्ट करवाता हूं। मैं ये परीक्षण इसलिए करता हूँ क्योंकि यह हमारे देश के प्रति मेरा कर्तव्य है।’ ट्रम्प बोले थे- MRI जांच में 100% स्कोर किया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि उन्होंने MRI जांच में 100% स्कोर किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता किस बॉडी पार्ट की जांच हुई. 1 दिसंबर को फ्लोरिडा से वॉशिंगटन लौटते समय एयर फोर्स वन में पत्रकारों ने बातचीत में ट्रम्प से उनके हालिया MRI और स्वास्थ्य रिपोर्ट को लेकर सवाल पूछा गया। CBS न्यूज की वेइजिया जियांग ने ट्रम्प से पूछा कि MRI किस हिस्से का हुआ था। इस पर ट्रम्प बोले मुझे नहीं पता। पर यह दिमाग नहीं था, क्योंकि मैंने कॉग्निटिव टेस्ट में 100% स्कोर किया है। इससे पहले मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज ने ट्रम्प को उनकी मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक करने की चुनौती दी थी। ट्रम्प ने कहा कि वे अक्टूबर में वॉल्टर रीड मिलिट्री मेडिकल सेंटर में हुए अपने परफेक्ट हेल्थ चेकअप की रिपोर्ट जारी करने को तैयार हैं। व्हाइट हाउस के डॉक्टर सीन बारबाबेला के मुताबिक, अक्टूबर में ट्रम्प का लेब टेस्ट, एडवांस्ड इमेजिंग और प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप हुए थे। डॉक्टर का कहना है कि ट्रम्प की कार्डियक (हृदय) उम्र उनकी वास्तविक उम्र से लगभग 14 साल कम बताई गई है। सोशल मीडिया पर ‘ट्रम्प इज डेड’ ट्रेंड हुआ था इससे पहले सोशल मीडिया X पर ‘ट्रम्प इज डेड’ (ट्रम्प की मौत हो गई) ट्रेंड हुआ था। अगस्त में ट्रम्प की मौत से जुड़े 60 हजार से ज्यादा पोस्ट शेयर किए गए थे। जुलाई में 79 साल के ट्रम्प के हाथ पर चोट के निशान और पैरों में सूजन की तस्वीरें सामने आने के बाद से ही उनकी सेहत चर्चा में है। नसों की बीमारी से जूझ रहे ट्रम्प फरवरी,2025 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जुलाई में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ मुलाकात के दौरान सबसे पहले ट्रम्प के हाथ पर चोट और मेकअप के निशान देखे गए थे। इसके बाद ट्रम्प की सेहत से जुड़ी अटकलें तेज हो गई थी। इस समय व्हाइट हाउस ने बताया था कि ट्रम्प की नसों की बीमारी क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी AB9 से ग्रसित हैं। इसके कारण उनके पैरों में सूजन रहती है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 70 साल से ज्यादा उम्र को लोगों में यह बीमारी कॉमन है। लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति की हथेलियों पर चोट के निशान हैं, जो मामूली सॉफ्ट टिशू इरिटेशन है। यह एस्पिरिन के सेवन के साइन इफेक्ट और बार-बार लोगों से हाथ मिलाने के कारण होता है। क्या है क्रोनिक वेनस इनसफिशिएंसी, जिससे ट्रम्प ग्रसित क्रोनिक वेनस इनसफिशिएंसी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें नसों को पैरों से खून को हार्ट तक वापस ले जाने में दिक्कत होती है। यह समस्या तब होती है जब नसों में वाल्व ठीक से काम नहीं करते हैं, जिससे खून पैरों में जमा हो जाता है और सूजन, दर्द और स्किन में बदलाव हो सकता है। आमतौर पर यह समस्या 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को होती है। दुनिया में 10 से 35% एडल्ट्स को यह समस्या है। भारत में भी हर तीन में से एक वयस्क को क्रॉनिक वेनस इन्सफिशिएंसी है, जबकि 4-5% लोगों में इसके लक्षण गंभीर रूप से दिखते हैं। इनमें यह कंडीशन अल्सर का रूप ले चुकी है।
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