मेरठ में 22 साल की बच्ची की जलकर मौत हो गई। परिजन बच्ची को सुलाकर शादी समारोह में थे। हादसे के वक्त घर में कोई नहीं था। मोमबत्ती जल रही है। किसी तरह मोमबत्ती गिर गई। इससे पास में रखे सामने में आग लग गई। आग धीरे-धीरे उस बिस्तर तक पहुंच गई, जिस नायरा सो रही थी। बच्ची के दादी ने रोशनदान से धुंआ उठता देखा। उन्होंने अन्य लोगों को जानकारी दी। इसके बाद सभी दौड़ते हुए घर पहुंचे। अंदर जाकर देखा तो बच्ची पूरी तरह जल चुकी थी। परिजनों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। इसके बाद किसी को सूचना दिए बिना बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया। पूरा परिवार मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता है। बच्ची के मां-बाप दोनों दिव्यांग हैं। वे बोल नहीं सकते हैं। बिजली का बिल बकाया है, इसलिए बिजली विभाग ने लाइन काट दी। जिसके चलते मोमबत्ती जलानी पड़ती है। पूरा मामला दौराला थाना क्षेत्र के बड़कली गांव है। बुधवार को आग लगने से बच्ची की मौत हुई और गुरुवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अब जानिए पूरा मामला…. शादी में गया था परिवार बड़कली गांव के रहने वाला रजनीश मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। उसके दो बेटे करण और अर्जुन और 22 माह की बेटी नायरा थी। रजनीश ने बताया कि वह अपनी पत्नी रानी और दोनों बेटों के साथ गांव में एक शादी समारोह में गया था। बच्ची नायरा को वह घर पर सुला गया था। घर में मोमबत्ती जल रही थी। किसी तरह मोमबत्ती गिर गई और पास में रखा सामान जलने लगा। आग फैलती चली गई और वह बिस्तर भी जलने लगा, जिस पर नायरा सो रही थी। नायरा की उसी आग में जलकर मौत हो गई। बिजली का बिल नहीं जमा कर सके, तो काटा कनेक्शन बच्ची की दादी कविता ने बताया कि घर के पीछे ही परिवार में एक शादी थी। हम सब उसी में गए थे। बीच में मेरे जेठ अपनी बेटी को दूध पिलाने घर भी आए थे। घर में मोमबत्ती जल रही थी। वह मोमबत्ती गिर गई और आग लग गई। रोशनदान से जब मेरी जेठानी ने धुआं उठता देखा तो तब हमें जानकारी हुई। हम सब दौड़कर घर आए। कमरे में जाकर देखा बच्ची जल चुकी थी और सारा सामान भी जल गया था। सभी लोग मौके पर पहुंचे और बहुत मुश्किल से आग बुझाई। कविता ने बताया कि बच्ची कुछ समय पहले बीमार हो गई थी। उसकी बीमारी में बहुत 2-3 लाख रुपए खर्च हो गए। इसी कारण बिजली का बिल नहीं जमा कर सके। बिजली का बिल न जमा होने पर लाइन काट दी गई। इसीलिए मोमबत्ती जलाते हैं। माता-पिता दोनों मूक बधिर उन्होंने बताया कि मेरा बेटा और बहू दोनों ही दिव्यांग और मूक-बधिर हैं। बिजली का जो बिल हमने जमा किया था, उसकी रसीद नहीं दी गई। अब हमें 50,000 रुपए का बकाया बिल थमा दिया गया। विभाग के कर्मचारी धमकी दे रहे हैं कि जमा न करने पर जेल भेज दिया जाएगा। करीब एक साल पहले एक व्यक्ति आया था और उसने 20,000 रुपए लेकर मीटर लगाने की बात कही थी, लेकिन हम पैसा नहीं दे सके। इसी मजबूरी में हम मोमबत्ती जलाते हैं और यही कारण इस हादसे का बन गया। कनेक्शन कटने के कारण जलाते थे मोमबत्ती- विशाल बच्ची के चाचा विशाल ने बताया कि धुआं देखने के बाद जब अंदर जाकर देखा तो सब कुछ राख हो चुका था। रुपए न होने के कारण बिजली का बिल जमा नहीं कर पाया था। इसलिए कनेक्शन काट दिया गया। ऐसे में हम मोमबत्ती जलाते थे। पहले लगभग 20,000 का बकाया था। बाद में बिजली विभाग ने 50,000 के करीब कर दिया। पुलिस के संज्ञान में नहीं मामला सीओ दौराला प्रकाश चंद्र अग्रवाल ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। घटनाक्रम की जानकारी मिलते ही जांच कराई जाएगी। ग्राम प्रधान अर्चना राणा ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। वे अधिकारियों से मिलकर शोकग्रस्त परिवार को हरसंभव आर्थिक सहायता दिलाने का प्रयास करेंगी।
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