नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) में लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है। गुरुवार को अस्पताल में भर्ती 70 वर्षीय कांति देवी को ऑक्सीजन सपोर्ट पर अल्ट्रासाउंड के लिए आधा किलोमीटर दूर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तक ई-रिक्शा से ले जाना पड़ा। इस दौरान मरीज के साथ रखा ऑक्सीजन सिलेंडर पूरी तरह खाली था, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ गई। जांच के लिए रेडियोलॉजी विभाग पहुंचने और वापस अस्पताल लौटने तक लगभग एक घंटे तक मरीज सांस लेने के लिए संघर्ष करती रहीं। ई-रिक्शा से कराने गए अल्ट्रासाउंड, ऑक्सीजन सिलेंडर थी खाली राघोपुर के पहाड़पुर निवासी कांति देवी पिछले तीन दिनों से NMCH के टीबी और चेस्ट विभाग में भर्ती हैं। उनकी बेटी सरिता देवी और बहू रिद्धि कुमारी ने बताया कि अस्पताल ने एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई। दोपहर 12:34 बजे उन्हें मजबूरन ई-रिक्शा किराए पर लेना पड़ा। रेडियोलॉजी विभाग पहुंचने पर परिजनों को पता चला कि मरीज के साथ भेजा गया ऑक्सीजन सिलेंडर खाली है। इसके अलावा, पुर्जा (स्लिप) वार्ड में छूट जाने के कारण गेट पर ट्रॉली भी नहीं मिली। मरीज को ई-रिक्शा पर ही बैठकर सांस लेने के लिए जूझती रही। परिजनों को दोबारा वार्ड जाकर पुर्जा लाना पड़ा, जिसके बाद उन्हें ट्रॉली मिली। लोगों की मदद से हुआ जल्द अल्ट्रासाउंड अंदर पहले से लंबी कतार थी। कुछ लोगों के हस्तक्षेप के बाद ही बुजुर्ग महिला का अल्ट्रासाउंड जल्दी हो सका। जांच के बाद कर्मियों ने तुरंत चेतावनी दी कि “सिलेंडर खाली है, मरीज को तुरंत वापस ले जाइए।” वापसी में भी परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। टीबी चेस्ट वार्ड तक वापस ले जाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं था। काफी दौड़-भाग के बाद एक और ई-रिक्शा मिला, जिससे मरीज और खाली सिलेंडर को वार्ड तक पहुंचाया गया। वार्ड में पहुंचने के बाद ही उन्हें दोबारा ऑक्सीजन मिल सका।
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