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IMA पासिंग आउट परेड कल, आर्मी चीफ लेंगे सलामी:300 से ज्यादा कैडेट बनेंगे सेना के नए अधिकारी; क्षेत्र जीरो जोन घोषित

उत्तराखंड के देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में कल यानी 13 दिसंबर को पासिंग आउट परेड है, जिसमें आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी मुख्य मेहमान होंगे। आर्मी चीफ परेड की सलामी लेंगे। इसके बाद कल सेना में 300 से ज्यादा सैन्य अफसर शामिल हो जाएंगे। इसमें विदेशी कैडेट्स भी शामिल हैं। IMA के अनुसार, सभी के पेरेंट्स को इन्विटेशन भेजा जा चुका है, जिसमें से कुछ के पेरेंट्स अकादमी पहुंच चुके हैं। देहरादून में ट्रैफिक डायवर्जन लागू कर दिया गया है, जो कल देर शाम तक लागू रहेगा। IMA के आस-पास वाले इलाकों को जीरो जोन घोषित किया गया है। कल IMA की ओर आम यातायात पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। IMA की तरफ से अभी तक कैडेट्स के बारे में सुरक्षा कारणों के चलते कोई जानकारी नहीं दी गई है। कल ही सारी जानकारी दी जाएगी। क्या है IMA की पासिंग आउट परेड? IMA की पासिंग आउट परेड को भारतीय सेना की सबसे भव्य सैन्य परंपराओं में गिना जाता है। परेड चेटवुड ड्रिल स्क्वायर पर होती है, जिसे ‘टेम्पल ऑफ मार्शल लर्निंग’ भी कहा जाता है। सभी कैडेट्स कदमताल के साथ अंतिम मार्च करते हैं। मुख्य अतिथि द्वारा सलामी ली जाती है। अंत में अंतिम पग (Final Step) पर कैडेट्स अकादमी की तरफ आखिरी बार देखकर अधिकारी की नई भूमिका में कदम रखते हैं। यह क्षण हर कैडेट के जीवन का सबसे भावुक और गौरवपूर्ण पल माना जाता है। पिपिंग और ओथ टेकिंग- कैडेट से ऑफिसर बनने का क्षण पासिंग आउट के बाद कैडेट्स के कंधों पर रैंक के सितारे लगाने की रस्म यानी पिपिंग सेरेमनी होती है। इसमें माता-पिता या प्रशिक्षक अफसर कैडेट्स पर सितारे लगाते हैं। इसी क्षण से वे ‘कैडेट’ से ‘सैन्य अधिकारी’ बन जाते हैं। इसके बाद नए अधिकारी राष्ट्र सेवा की शपथ लेते हैं, जो भारतीय सेना के मूल्यों, कर्तव्य, सम्मान और निष्ठा का पालन करने का संकल्प होता है। IMA क्यों है खास? 93 साल पुरानी गौरवशाली परंपरा IMA की स्थापना 1 अक्टूबर 1932 को तत्कालीन जनरल सर फिलिप चेटवुड ने की थी। इसकी शुरुआत 40 कैडेट्स के साथ हुई और अभी इसकी 1660 कैडेट्स की है। यहां से अब तक 66,000 से ज्यादा कैडेट्स, जिनमें 3,000 विदेशी भी शामिल पास आउट हो चुके हैं। आईएमए न केवल भारत बल्कि विश्व के लिए सैन्य नेतृत्व तैयार करने वाली प्रमुख संस्थानों में से एक है। यहां प्रशिक्षित अधिकारी अपनी वीरता और नेतृत्व के लिए विश्वभर में सम्मानित हैं। इस बार कौन होंगे मुख्य अतिथि? 13 दिसंबर 2025 की पासिंग आउट परेड में आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी मुख्य मेहमान होंगे। उनकी मौजूदगी इस ऐतिहासिक समारोह को और भव्य बनाती है, क्योंकि स्वॉर्ड ऑफ ऑनर जैसे सबसे महत्वपूर्ण सम्मान उन्हीं के हाथों प्रदान किए जाते हैं। पिछली परेडों के आंकड़े 2025 दिसंबर की सटीक संख्या परेड वाले दिन ही घोषित की जाएगी। आईएमए पासिंग आउट में मिलने वाले प्रमुख सम्मान आईएमए में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट्स को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार दिए जाते हैं: 1. स्वॉर्ड ऑफ ऑनर- IMA का सर्वोच्च सम्मान सर्वोत्तम नेतृत्व, शारीरिक क्षमता और अकादमिक प्रदर्शन वाले कैडेट को दिया जाता है। 2. गोल्ड मेडल- मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले कैडेट को प्रदान किया जाता है। 3. सिल्वर मेडल- समग्र मेरिट में दूसरा स्थान और तकनीकी कोर्सेज (TGC, TES) के टॉपर्स को दिया जाता है। 4. ब्रॉन्ज मेडल- मेरिट में तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले कैडेट को दिया जाता है। 5. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर- सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली कंपनी को दिया जाता है। 6. विदेशी कैडेट्स के लिए बांग्लादेश मेडल- IMA की पासिंग आउट परेड में बांग्लादेश मेडल विदेशी कैडेट्स के बीच मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले को दिया जाता है। यह पुरस्कार 2021 में स्थापित हुआ, जो द्विपक्षीय सैन्य सहयोग का प्रतीक है। विजेताओं की घोषणा परेड के बाद आधिकारिक रूप से की जाएगी। सेना की शान और युवा कैडेट्स का गौरव आईएमए की पासिंग आउट परेड देश के उन युवाओं की गाथा है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा को अपना जीवन समर्पित किया है। चेटवुड की प्रतिध्वनि-‘द नेशन फर्स्ट, ऑलवेज एंड एवरी टाइम’ कैडेट्स के जीवन का आधार बन जाती है। 13 दिसंबर 2025 की यह परेड न सिर्फ देहरादून बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण होगी। गौर करने वाली बात यह है कि इस बार भूटान, श्रीलंका, मालदीव और नेपाल के साथ-साथ मॉरीशस​​​,तजाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, सूडान और जैसे देशों से आने वाले कैडेट्स की संख्या पहले की तुलना में और बढ़ गई है। इसका बड़ा कारण यह है कि भारत और इन देशों के बीच सैन्य सहयोग सालों से बेहद मजबूत और भरोसेमंद रहा है। इसी गहरे संबंध की वजह से इन देशों की सेनाओं में भारतीय सेना, खासकर आईएमए और एनडीए के प्रशिक्षण मॉडल के प्रति विशेष सम्मान और विश्वास देखा जाता है।


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