DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

मुस्लिम बॉयफ्रेंड के लिए मां-बाप समेत 5 को मारा:2 बच्चों के पिता शानू से लव मैरिज की; एक गलती से पकड़ी गई

26 अगस्त 2016, वेस्ट यूपी में बुलंदशहर का नरौरा कस्बा सुबह करीब 7 बजे नहर के पास से गुजर रहे आदमी की नजर अचानक ठिठक गई। नेवी ब्लू रंग की ईको कार पानी में तैरती दिखी। कुछ ही देर में सैकड़ों लोग जमा हो गए। पुलिस आई, कार पानी से निकाली गई। पिछली सीट पर तीन लाशें थीं, दो औरतें और एक आदमी। गाड़ी दिल्ली की थी। पहली नजर में मामला एक्सीडेंट का लगा, लेकिन जांच हुई तो एक के बाद एक कई राज खुलते चले गए। आज ‘कातिले इश्क’ में एक ऐसी प्रेम कहानी, जिसमें लड़की ने दूसरे धर्म के बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। प्यार और शादी के लिए रची गई ऐसी साजिश, जिसमें पूरा परिवार भस्म हो गया… साल 2012, ग्रेटर नोएडा का नवादा गांव प्रीति घर में सबसे छोटी थी, सबकी लाडली। पिता राजे सिंह तो उस पर जान छिड़कते थे। कभी-कभी पत्नी धर्मवती उन्हें टोकतीं भी- “लड़की जात से इतना लाड़ ठीक नहीं, पराए घर जाना है।” तो बड़ा बेटा ललित मां को चिढ़ाने के लिए कह देता- “किसी और के घर क्यों जाएगी छुटकी, घर जमाई ढूंढ लाएंगे कोई…” धर्मवती खिसियाहट में बड़बड़ाती हुई चली जातीं और प्रीति इस झगड़े को देखकर खूब हंसती। प्रीति जवान थी, उम्र वही जब दिल दिमाग से तेज दौड़ता है। उस रोज वो बाजार से लौट रही थी। चप्पल का स्ट्रैप ढीला हो गया था, इसलिए झुककर ठीक करने लगी। तभी उसकी नजर सड़क किनारे दुकान पर बैठे एक लड़के पर पड़ी। वो उसे ही देख रहा था। प्रीति जैसे ठिठक गई। उसने नजरें झुका लीं, दुपट्टा ठीक किया और आगे बढ़ गई। अगले दिन भी वही तिराहा, वही समय। लड़का फिर बैठा था। इस बार वो मुस्कुरा रहा था। प्रीति पास से गुजरी तो बोला- “फिर मिल गए हम।”
प्रीति चौंक गई- “मैं तो बस रास्ते से जा रही हूं।”
लड़का मुस्कुराया- “रास्ते में ही तो लोग मिलते हैं।” उस दिन घर पहुंचकर प्रीति पूरे दिन कुछ सोचती रही। शाम को उसकी सहेली रीना ने पूछा- “इतनी चुप क्यों है आज?” प्रीति बोली- “कुछ नहीं…”
रीना हंसी- “किसी को देखकर दिल धड़कता है क्या?”
प्रीति झल्लाई- “पागल है क्या तू?”
रीना ने आंखें सिकोड़कर कहा- “चेहरा सब बता रहा है।” अगले दो दिनों तक वही नजरें, वही मुस्कान, वही तिराहा। फिर एक शाम प्रीति खुद रुक गई। लड़का धीरे से बोला- “मेरा नाम मुगीश है। सब लोग मुझे शानू कहते हैं।” “मैं प्रीति…” शानू- “बाजार रोज आती हो?”
प्रीति- “जरूरत पड़े तो आ जाती हूं।”
शानू ने मुस्कराकर कहा- “जरूरत मैं बना दूं तो?” प्रीति भी मुस्कुरा दी। मुलाकातें बढ़ीं और दूरियां घटती गईं। शानू मेरठ का रहने वाला था और गांव में बाइक रिपेयरिंग करता था। शादीशुदा था और दो बच्चों का बाप भी। धर्म तक अलग, लेकिन प्रीति को इस सबसे फर्क नहीं पड़ता था। एक दिन प्रीति की मां को इसकी भनक लगी। उन्होंने प्रीति से सीधे पूछा- “पूरे गांव में बातें उड़ रही हैं। तू किसी लड़के से मिलती है, कौन है वो?” प्रीति घबराकर बोली- “मम्मी, मैं समझा रही हूं।”
धर्मवती ने ऊंची आवाज में कहा- “लड़के का नाम बता कुतिया…”
प्रीति हिम्मत जुटाकर बोली- “शानू…” धर्मवती ने जोरदार तमाचा जड़ दिया, बोली- “वो मिस्तरी ही मिला था आसकी लड़ाने को…” प्रीति सिर झुकाकर बोली- “मम्मी मैं उससे प्यार करती हूं और वो भी…” अंदर कमरे में बैठे राजे सिंह भी सब सुन रहे थे। अचानक बाहर आकर गरजे- “क्या कहा तूने…?” पापा का ये रूप देखकर प्रीति सहम गई। कुछ बोलने की हिम्मत ही न हुई। राजे सिंह बोले- “दो बच्चों का बाप है वो, हमारे धरम का भी ना है। दिमाग खराब हो गया है क्या तेरा…” प्रीति रोते हुए बोली- “मुझे इससे कोई मतलब नहीं। मैं उसी के साथ रहूंगी।” बेटी की हर जिद पूरी करने वाले राजे सिंह भड़क गए। पहली बार उन्हें बेटी पर हाथ उठाना पड़ा। प्रीति का घर से निकलना बंद हो गया। उसका फोन भी छीन लिया गया। प्रीति और शानू की बातचीत बंद थी, लेकिन शानू ने एक तरकीब निकाल ली। उसने किसी तरह से प्रीति को तक एक चिट्ठी भिजवाई। उसने लिखा- “भूत-प्रेत आने का नाटक करो। मैं एक तांत्रिक को जानता हूं। वो हमारी मदद करेगा। झाड़-फूंक के बहाने हम दोनों मिल लिया करेंगे।” प्रीति ने ऐसा ही किया। पास के गांव छौलस के तांत्रिक सलीमुद्दीन ने साथ दिया। उसने प्रीति के घरवालों को विश्वास दिलाया कि उस पर भूत का साया है। झाड़-फूंक के लिए हर महीने बदायूं में बड़े सरकार की दरगाह जाना होगा। सब तांत्रिक की बात मान गए। वो प्रीति और परिवार को लेकर दरगाह जाने लगा। शानू भी वहां पहुंच जाता। तांत्रिक की मदद से प्रीति और शानू चोरी-छिपे मिल लेते। कुछ दिन सब ठीक चला, फिर अचानक प्रीति की शादी तय हो गई। ये खबर सुनते ही प्रीति टूट गई। एक दिन अपनी सहेली के फोन से शानू से बात की। रोते हुए बोली- “घरवालों ने मेरी शादी तय कर दी है, लेकिन मैं तुमसे ही शादी करूंगी।” शानू- “दिक्कत ये है कि सब हमारे खिलाफ हैं। दीवार बनकर खड़े हैं तुम्हारे घरवाले, ये दीवार गिरानी होगी।” प्रीति- “मतलब…”
शानू- “हमें शादी करनी है तो इन्हें रास्ते से हटाना होगा।” 25 अगस्त 2016, सुबह का वक्त हर महीने की तरह पूरा परिवार बड़े सरकार की दरगाह जाने की तैयारी कर रहा था। राजे सिंह ने एक दिन पहले ही ईको कार बुक कर ली थी। इस बार प्रीति, उसके मम्मी-पापा और तांत्रिक सलीमुद्दीन के अलावा भाई-भाभी और मामा-मामी भी जा रहे थे। करीब 10 बजे गाड़ी घर के बाहर आकर रुकी। राजे सिंह ने आवाज लगाई- “गाड़ी आ गई है, जल्दी बैठो।” मामा राजेंद्र ने मुस्कुराकर कहा- “आज तो पूरा परिवार जा रहा है। बाबा खूब बरकत करेंगे।” प्रीति कुछ परेशान सी लग रही थी। भाभी शीतल ने दिलासा दी- “चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।” प्रीति ने जवाब नहीं दिया। बस सिर हिला दिया। सब गाड़ी में बैठे और चल दिए। सभी बातचीत कर रहे थे, लेकिन प्रीति चुप थी। राजेंद्र ने पूछा- “क्या बात है बेटी, बहुत चुप हो आज। मन में बोझ रखकर दरगाह नहीं जाते।” प्रीति नजरें घुमाए बिना बोली- “कुछ नहीं मामा जी, बस तबीयत थोड़ी भारी है।” घरवालों को लगा, दरगाह जा रहे हैं इसलिए भूत परेशान कर रहा है। करीब 3:30 बजे सभी दरगाह पहुंच गए। एक कमरा लिया गया और सब आराम करने लगे। प्रीति मौका पाकर शानू से मिलने पहुंच गई। वो पहले से वहां था। थोड़ी देर बातचीत के बाद शानू ने नींद की गोलियों के तीन पत्ते प्रीति को थमा दिए। शानू धीमी आवाज में बोला- “सारी मिला देना, सबका देर तक बेहोश रहना जरूरी है। किसी की आंख भी खुल गई ना… तो समझो सब खतम।” प्रीति ने डरते हुए सिर हिलाया। शानू ने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ा और माथा चूमा। फिर उसकी आंखों में देखकर बोला- “डरो मत, मैं यहीं हूं। काम होते ही बस कॉल कर देना, बाकी मैं संभाल लूंगा।” प्रीति ने पास की दुकान से कोल्डड्रिंक की एक बोतल खरीदी और सारी गोलियां पीसकर उसमें मिला दीं। प्रीति कमरे में लौटी तो धर्मवती जग रही थीं। प्रीति मुस्कुराकर बोली- “आप लोग थक गए थे, इसलिए कोल्डड्रिंक लेने गई थी।” तब तक बाकी लोग भी जाग गए। प्रीति ने डिस्पोजेबल ग्लास निकाले और सबको कोल्डड्रिंक दी। मम्मी-पापा, भाई-भाभी, मामा-मामी, ड्राइवर और तांत्रिक सलीमुद्दीन को भी। कोल्डड्रिंक पीने के बाद राजे सिंह ने बेटे और बहू से कहा- “जाओ बेटा, तुम लोग चादर चढ़ा आओ। हम लोग कल चले जाएंगे।” दोनों चादर चढ़ाने दरगाह चले गए। तब तक दवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था, दोनों बेहोश होकर वहीं गिर पड़े। उधर, कुछ देर बाद दरगाह में मामा राजेंद्र भी बेसुध हो गए। इधर कमरे में राजे सिंह, धर्मवती, प्रीति की मामी, तांत्रिक सलीमुद्दीन और ड्राइवर ओमपाल भी बेहोश हो चुके थे। प्रीति ने सबको हिलाकर देखा। कोई हिलने की हालत में नहीं था। उसने तुरंत शानू को वहां बुला लिया। दोनों ने मिलकर घरवालों को गाड़ी में डाला और बुलंदशहर की ओर चल दिए। शानू गाड़ी चला रहा था, प्रीति उसके बगल वाली सीट पर बैठी थी। गाड़ी रातभर सड़कें नापती रही। सुबह करीब 4 बजे बुलंदशहर के नरौरा कस्बे में नहर के पास पहुंचे। सुनसान सड़क और चारों तरफ अंधेरा। प्रीति और शानू गाड़ी से उतरे। कार नहर किनारे खड़ी की और धक्का दे दिया। एक जोरदार आवाज के साथ कार पानी में समा गई। बदायूं से नोएडा जाते समय नरौरा की वो नहर रास्ते में पड़ती है। शानू का सोचना था, इससे पुलिस को लगेगा कि दरगाह से लौटते वक्त गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया। प्रीति और शानू बिना पीछे मुड़े वहां से निकल गए। तेज कदमों से सड़क पार की और एक गाड़ी पकड़कर बदायूं पहुंचे। वहां शानू ने दरगाह के पास खड़ी अपनी सेंट्रो कार उठाई और मेरठ की ओर चल दिए। 26 अगस्त 2016 सुबह करीब 7 बजे नहर के पास से गुजर रहे आदमी की नजर अचानक ठिठक गई। नेवी ब्लू रंग की ईको कार पानी में तैरती दिखी। कुछ ही देर में सैकड़ों लोग जमा हो गए। पुलिस आई, कार पानी से निकाली गई। गाड़ी से निकलीं तीन लाशें- राजे सिंह, धर्मवती और प्रीति की मामी। पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। कार के नंबर से उसके मालिक और फिर नोएडा से बदायूं आने तक की कहानी पता चली। उधर, बदायूं दरगाह में ललित, शीतल और राजेंद्र को भी होश आ चुका था। उन्होंने कमरे में जाकर देखा तो सब गायब, किसी का फोन भी नहीं लग रहा था। तभी ललित के पास बुलंदशहर पुलिस का फोन आया और गाड़ी के एक्सीडेंट की बात पता चली। बदायूं से नोएडा जाते समय बुलंदशहर रास्ते में पड़ता है। अब ललित को समझ नहीं आ रहा था कि घरवाले उन लोगों को छोड़कर नोएडा के लिए क्यों निकल गए? ललित और राजेंद्र बुलंदशहर पहुंचे। पोस्टमॉर्टम के बाद पुलिस ने लाशें उनके सुपुर्द कर दीं। तांत्रिक और ड्राइवर की लाश नहीं मिली थी, प्रीति भी गायब थी। शुरुआत में सबको लगा कि इनकी लाशें पानी के साथ बह गईं। लेकिन, दो दिन बाद तांत्रिक सलीमुद्दीन की लाश मिल गई। ड्राइवर और प्रीति अब भी गायब थे। तब-तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ चुकी थी। पता चला कि सबको नींद की दवा दी गई थी। बस यहीं से पुलिस का माथा ठनका। पुलिस ने ललित और राजेंद्र को पूछताछ के लिए बुलाया। ललित- “जब हम चादर चढ़ाने दरगाह गए तो हमें भी चक्कर आ रहे थे और दरगाह पहुंचकर बेहोश हो गए।” राजेंद्र ने भी यही बताया। पुलिस ने पूछा- “दरगाह जाने से पहले कुछ खाया था?” ललित- “कोल्डड्रिंक पी थी सबने, प्रीति लाई थी। उसके बाद ही सबकी तबीयत कुछ खराब होने लगी। हमें लगा भूतबाधा परेशान कर रही है, इसलिए चादर चढ़ाने चले गए।” यही वो पल था, जब पहली बार शक की सुई प्रीति की ओर घूमी। दरगाह के आसपास तलाशी में कोल्डड्रिंक की खाली बोतल और नींद की गोलियों का खाली रैपर मिला। यहां से इस केस की धाराएं बदल गईं। एक्सीडेंट की जगह हत्या (IPC 302), अपहरण (IPC 364) और सबूत मिटाने (IPC 201) का केस बना था। इसके बाद प्रीति और शानू के रिश्ते के बारे में भी पुलिस को पता चला। पुलिस ने अपनी तफ्तीश तेज कर दी। उधर, प्रीति और शानू मेरठ पहुंचे। प्रीति ने आगे के प्लान के बारे में पूछा। शानू बोला- “अब हमें ये दिखाना है कि हम दोनों बदायूं से भाग गए थे। वहां क्या हुआ, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं। हम लोग यहां से इलाहाबाद जाएंगे। वहीं शादी करेंगे और हाईकोर्ट अर्जी लगाकर परिवार से सुरक्षा मांगेंगे।” प्रीति ने पूछा- “तुम इलाहाबाद में जानते हो किसी को…?”
शानू मुस्कुराया- “हां, सब सेट है। बस थोड़ा पैसा चाहिए। मैं इंतजाम करता हूं।” शानू ने दोस्तों से पैसे उधार लिए और अपनी सेंट्रो कार वहीं छोड़कर प्रीति के साथ इलाहाबाद (अब प्रयागराज) चल दिया। वहां पहुंचकर एक वकील के जरिए सिक्योरिटी की अर्जी लगाई। हाईकोर्ट से 15 दिन बाद की तारीख मिली, दोनों के चेहरे उतर गए। उनके पास इतने दिन रुकने के लिए पैसे नहीं थे। इधर, पुलिस अपनी जांच में जुटी थी। प्रीति और शानू की कॉल डिटेल रिपोर्ट (CDR) निकलवाई गई। इससे पता चल गया कि शानू भी दरगाह के आसपास था। इसके अलावा शाम को प्रीति और शानू की बातचीत भी हुई थी। पुलिस शानू के घर मेरठ भी गई। पड़ोसियों से पूछताछ की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। कुछ दिन बाद एक बड़ा सुराग हाथ लगा। शानू ने कुछ देर के लिए अपना मोबाइल ऑन किया था। लोकेशन मिली- इलाहाबाद। पुलिस ये पता करने में भी कामयाब रही कि प्रीति भी उसके साथ है। दोनों संगम एक्सप्रेस से मेरठ आ रहे हैं। पुलिस ने तीन तरफ से जाल बिछाया। खुर्जा, बुलंदशहर और मेरठ तीन रेलवे स्टेशनों पर पुलिस टीम तैनात की गईं। सुबह करीब 4:45 बजे, शानू और प्रीति बुलंदशहर स्टेशन पर उतरे। बैग कसकर पकड़े, नजरें बचाते हुए तेज कदमों से बाहर निकल रहे थे। स्टेशन पर तैनात पुलिस टीम ने उन्हें घेर लिया। दोनों के चेहरे सफेद पड़ चुके थे। पूछताछ की शुरुआत में दोनों ने अपनी गढ़ी कहानी सुना दी। फिर पुलिस ने कोल्डड्रिंक, नींद की दवा के खाली रैपर, CDR रिपोर्ट सामने रखी दो दोनों टूट गए। जुर्म कबूल कर लिया। शानू का सोचना था कि लाशों को गाड़ी समेत नहर में धकेलने से ये एक्सीडेंट जैसा लगेगा। नरौरा की वो नहर बदायूं से नोएडा के रास्ते में ही पड़ती है। इससे प्लान कामयाब होने के पूरे आसार थे। लोग मान जाते कि दरगाह से लौटते वक्त गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया। उनके पास प्लान- बी भी तैयार था। अगर प्रीति और शानू पकड़े जाते तो कहते- ‘हम दोनों दरगाह से एक साथ भाग गए थे। उसके बाद क्या हुआ, नहीं जानते।’ इस प्लानिंग में गड़बड़ तब हुई, जब प्रीति के भाई, भाभी और मामा कोल्डड्रिंक पीने के बाद दरगाह पर चादर चढ़ाने चले गए। फिर वहीं बेहोश हो गए। प्रीति और शानू उनको कार डालकर नहीं ला सके। उन्होंने बयान दिया कि प्रीति की दी कोल्डड्रिंक पीने के बाद सबकी तबीयत बिगड़ी। इससे ही पुलिस के शक की सुई प्रीति और शानू की तरफ घूमी। कई दिनों की लगातार ट्रैकिंग, सबूत और रणनीति का नतीजा हुआ कि दोनों पकड़े गए। प्रीति और शानू जेल में हैं, मामला कोर्ट में चल रहा है। *** स्टोरी एडिट- कृष्ण गोपाल *** रेफरेंस जर्नलिस्ट- कपिल गौड़ | मान सिंह चौहान (तत्कालीन SP ग्रामीण, बुलंदशहर), सुधीर त्यागी (तत्कालीन SHO, थाना- कासना, ग्रेटर नोएडा) भास्कर टीम ने सीनियर जर्नलिस्ट्स, पुलिस, पीड़ितों और जानकारों से बात करने के बाद सभी कड़ियों को जोड़कर ये स्टोरी लिखी है। कहानी को रोचक बनाने के लिए क्रिएटिव लिबर्टी ली गई है। ———————————————————– सीरीज की ये स्टोरीज भी पढ़ें… मां-बाप समेत घर के 6 लोगों को कुल्हाड़ी से काटा; दूसरी जाति में लव-मैरिज के खिलाफ थी फैमिली, बॉयफ्रेंड संग साजिश रची 14 अप्रैल 2008, अमरोहा का बावनखेड़ी गांव। रात करीब 2 बजे का वक्त। अचानक एक लड़की के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। गांववाले दौड़े, मास्टर शौकत अली की बेटी शबनम बालकनी में दहाड़ मारकर रो रही थी। पड़ोसियों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। पूरी स्टोरी पढ़ें… ‘मिस मेरठ’ का लेस्बियन इश्क; साथ रहने के लिए पार्टनर के भाई से शादी की, मां-बाप ने गाली दी तो दोनों को मार दिया दिल्ली के हॉस्टल में शुरू दोस्ती एक ऐसे रिश्ते में बदली जिसे समाज ने ‘पाप’ कहा और दुनिया ने ‘नामंजूर’ कर दिया। फिर सामने आई इश्क की सबसे खतरनाक शक्ल, जिसने साथ ‘जीने’ के लिए मां-बाप को मार दिया। पूरी स्टोरी पढ़ें…


https://ift.tt/0lGkxzb

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *