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बनभूलपुरा अतिक्रमण मामला: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली:16 दिसंबर मिली अगली तारीख; हल्द्वानी में हाई अलर्ट जारी, 500 से ज्यादा जवान तैनात

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई है। मामले की अगली सुनवाई अब 16 दिसंबर को होगी, इससे पहले भी 2 दिसंबर को सुनवाई को टाल दिया गया था। वहीं, सुबह से ही हल्द्वानी को हाई अलर्ट जोन में रखा गया । इलाके में दुकान और स्कूल बंद कर दिए गए। आने-जाने वालो को आधार कार्ड दिखाकर ही एंट्री मिल रही है। पुलिस ने 15 लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, पूर्व में दिल्ली ब्लास्ट मामले के शक में हिरासत में लिए गए बिलाल मस्जिद के इमाम आसिम कासमी को पुलिस ने 50 हजार रुपए के निजी मुचलके का नोटिस देकर शांति व्यवस्था बनाए रखने को कहा है। ITBP और CRPF को रिजर्व पर रखा मामला रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण से जुड़ा है और 5 हजार परिवार व 50 हजार लोगों की जिंदगी से जुड़ा है। शांति बनाए रखने के लिए 500 से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं, जिसमें तीन एएसपी, चार सीईओ, 12 थाना अध्यक्ष, 45 उप निरीक्षक, और 400 हेड कॉन्स्टेबल शामिल हैं। SSP मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पूरे इलाके में चेकिंग जारी है। पुलिस लगातार फ्लैग मार्च निकाल रही है। संवेदनशील क्षेत्र बनभूलपुरा में भारी फोर्स को तैनात कर दिया गया है। ड्रोन से इलाके में नजर रखी जा रही है। साथ ही ITBP और CRPF को रिजर्व पर रखा गया है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बाहरी लोगों और गाड़ियों की चेकिंग कर रही है। प्रशासन ने पूरे जिले में सुरक्षा बढ़ा दी है। इससे पहले मामले में 2 दिसंबर को सुनवाई होनी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित केस ज्यादा होने से नंबर नहीं आया। इसके बाद कोर्ट ने अगली तारीख दी थी। जानिए क्या है पूरा मामला… पहली बार 2007 में कोर्ट पहुंचा मामला याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी के अनुसार, इस मामले की शुरुआत बनभूलपुरा और गफूरबस्ती क्षेत्र में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर 2007 में हाईकोर्ट के आदेश से हुई थी। तब प्रशासन अतिक्रमण का कुछ हिस्सा 0.59 एकड़ जमीन को मुक्त किया था। 2013 में उनकी तरफ से गौला नदी में हो रहे अवैध खनन और गौला पुल के क्षतिग्रस्त होने के मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान रेलवे भूमि के अतिक्रमण का मामला फिर से सामने आ गया। 9 नवंबर 2016 को कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए रेलवे को दस हफ्ते के अंदर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अतिक्रमणकारियों और प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र देकर उक्त जमीन को प्रदेश सरकार की नजूल भूमि (वह सरकारी जमीन है जो ब्रिटिश शासन के दौरान विरोध करने वाले राजाओं या विद्रोहियों से जब्त की गई थी) बताया लेकिन 10 जनवरी 2017 को कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। 10 साल बाद 2017 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों और प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि वह अपने व्यक्तिगत प्रार्थना पत्र 13 फरवरी 2017 तक हाईकोर्ट में दाखिल करें और इनका परीक्षण हाईकोर्ट करेगा। इसके लिए तीन महीने का समय दिया गया। 6 मार्च 2017 को कोर्ट ने रेलवे को अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम 1971 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर याचिकाकर्ता रवि शंकर जोशी ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था- 50 हजार लोगों को रातों-रात बेघर नहीं किया जा सकता रेलवे और जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। लेकिन कब्जा तब भी नहीं हटा। जोशी ने 21 मार्च 2022 को हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका दायर कर कहा कि रेलवे अपनी भूमि से अतिक्रमण हटाने में नाकाम साबित हुआ है। 18 मई 2022 को कोर्ट ने सभी प्रभावित व्यक्तियों को अपने तथ्य कोर्ट में रखने के निर्देश दिए, लेकिन अतिक्रमणकारी उक्त भूमि पर अपना अधिकार साबित करने में विफल रहे। 20 दिसंबर 2022 को कोर्ट ने फिर से रेलवे को अतिक्रमणकारियों को हफ्ते भर का नोटिस जारी करते हुए अतिक्रमण हटाने संबंधी निर्देश दिए। इस आदेश के खिलाफ स्थानीय निवासियों ने जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद 5 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 50 हजार लोगों को रातों-रात बेघर नहीं किया जा सकता। रेलवे को विकास के साथ-साथ इन लोगों के पुनर्वास और अधिकारों के लिए योजना तैयार करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे से इस मामले में समाधान निकालने और अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। 8 फरवरी 2024 में हिंसा, 6 लोगों की मौत इससे पहले नगर निगम ने इसी इलाके में 8 फरवरी 2024 को एक अवैध मदरसा ढहा दिया था। नमाज पढ़ने के लिए बनाई गई एक इमारत पर भी बुलडोजर चलाया। इसके बाद इलाके में हिंसा फैल गई। भीड़ ने पुलिस और निगम के अमले पर हमला कर दिया। बनभूलपुरा थाने को घेरा और पथराव किया। हिंसा में 6 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। 300 पुलिसकर्मी और निगम कर्मचारी घायल हुए। तब प्रशासन ने यहां कर्फ्यू लगा दिया था और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए थे। रेलवे स्टेशन पर पुलिस का फोकस एसएसपी नैनीताल की मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पुलिस अधीक्षक नगर हल्द्वानी मनोज कुमार कत्याल ने पुलिस बल को ब्रीफ कर दिया है। रेलवे स्टेशन, ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, लाईन नं0 17, इन्द्रानगर बड़ी रोड, मुजाहिद चौक, गोपाल मंदिर, ठोकर, शनि बाजार रोड, छोटी रोड इन्द्रानगर, ठोकर, ताज मस्जिद, 16 नंबर तिराहा, गांधी नगर, बिलाली मस्जिद, लाईन नंबर 8, चोरगलिया रोड, ताज चौराहा, भारद्वाज चौराहा, रेलवे स्टेशन गेट, फर्नीचर लाईन से चोरगलिया रोड में फ्लैग मार्च निकाला गया। इसके अलावा सत्यापन अभियान भी चलाया जा रहा है। साथ ही बाहर से आने वाले लोगों को बिना आई कार्ड के कोई भी एंट्री नहीं जा रही है। पुलिस ने क्षेत्रवासियों से अपील है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करें, तथा अग्रिम कार्यवाही में शासन प्रशासन का सहयोग करें। शांति व्यवस्था बनाए रखें, अफवाह न फैलाएं, किसी भी तरह की गलत बयानबाजी और किसी प्रकार का व्यवधान करने एवं कानून व्यवस्था की स्तिथि को बिगाड़ने का प्रयास न करें। जनपद पुलिस फील्ड के साथ साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी सतर्क दृष्टि बनाए हुए है, किसी भी तरह से गलत हरकत करने से बचें।


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