सिर्फ कागजों पर एडमिशन दिखा ले रहे सरकारी अनुदान
बिहार में कई मदरसों में बच्चों का सिर्फ एडमिशन दिखाकर सरकारी अनुदान लिया जा रहा है। बच्चों का एडमिशन सिर्फ कागज पर दिखाया जा रहा है। वास्तव में मदरसों में बच्चों की संख्या नगण्य है। राज्य में चल रहे ऐसे मदरसों की सूचना पर भास्कर की टीम ने मुजफ्फरपुर के मदरसों की पड़ताल शुरू की। इस दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मुजफ्फरपुर शहर के चंदवारा स्थित मदरसा दारूल तकलीम में हमें एक भी छात्र नहीं मिला। पड़ताल के दौरान पता चला कि डीएम के आदेश पर डीईओ ने इस मदरसे की दो दिन तक जांच भी कराई है। जांच के दौरान पहले दिन बच्चों की उपस्थिति शून्य पाई गई। दूसरे दिन सिर्फ छह छात्र ही मिले। क्या है मामला- बिहार में सरकारी अनुदानित मदरसों में छात्रों की उपस्थिति को लेकर फर्जीवाड़े का मामला सामने आता रहा है। जनवरी 2023 में पटना उच्च न्यायालय ने राज्य के 2459 सरकारी अनुदानित मदरसों के कागजात और भौतिक स्थिति की विस्तृत जांच का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद जांच पूरी होने तक 609 मदरसों की अनुदान राशि रोक दी गई। रिपोर्ट आने के बाद दिसंबर 2023 में 50 मदरसों की मान्यता भी रद्द कर दी गई। इनपुट था राज्य में अभी भी कई ऐसे मदरसे हैं जो सिर्फ काजगों पर चल रहे हैं। इस सच्चाई को परखने के लिए भास्कर ने पड़ताल की तो ऐसे मामले सामने आए। जिस मदरसे को मदरसा बोर्ड से संबद्धता, उसके भवन में चल रहा सरकारी विद्यालय
केस- 1 चंदवारा स्थित मदरसा दारूल तकलीम में पड़ताल के दौरान एक भी छात्र उपस्थित नहीं था। जबकि इसमें 220 छात्रों का नामांकन दिखाया गया है। वहां केवल दो शिक्षक मिले। उन्होंने कहा कि बच्चे नमाज पढ़ने गए हैं। गुरुवार को आमतौर पर बच्चे कम ही आते हैं। शिक्षकों ने शनिवार को आने की सलाह दी। उन्होंने स्वीकार किया कि शनिवार को भी अधिकतम 22 बच्चे ही इकट्ठा कर पाएंगे, क्योंकि यहां अधिकांश बच्चे सिर्फ एडमिशन लेते हैं और परीक्षा के समय ही आते हैं। आगे की पड़ताल में पता चला कि डीएम के आदेश पर डीईओ ने 7 और 9 अक्टूबर को इसकी जांच कराई थी। पहले दिन शून्य और दूसरे दिन केवल छह छात्र मिले। नामांकित किसी छात्र का अपार कार्ड भी नहीं बनाया गया। केस – 2 जिस मदरसे को बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड से संबद्धता मिली हुई है, उसके भवन में सरकारी विद्यालय चल रहा है। पड़ताल के दौरान हम मुजफ्फरपुर के पारू ठेंगपुर में मदरसा शरफुल उलूम पहुंचे। यह सरकारी अनुदानित मदरसे की श्रेणी में है। इसे मदरसा बोर्ड से संबद्धता भी प्राप्त है। हालांकि मदरसे के दस्तावेज बताते हैं कि इस मदरसे में एक भी शिक्षक नहीं हैं। भास्कर की टीम जब मौके पर पहुंची तो मदरसे के भवन में ……………सरकारी विद्यालय चल रहा था। वहीं के एक शिक्षक ने बताया कि बगल में सरकारी विद्यालय की जमीन है, लेकिन भवन नहीं बन पाया, इसलिए स्कूल को इस मदरसा भवन में शिफ्ट कर दिया गया है। हम उन्हीं मदरसों की जांच करते हैं जिनकी शिकायत हमें मिलती है। शिकायत प्राप्त होने पर हम जांच कराएंगे। मुझे यह जानकारी है कि ठेंगपुर वाले मदरसे में एक भी शिक्षक नहीं है। -अब्दुल सलाम अंसारी, सचिव, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड
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