केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि देशभर की अदालतों में कुल 5.49 करोड़ से अधिक केस पेंडिंग हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक लिखित उत्तर में कहा कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक लंबित मामलों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। सरकार की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 90,897 मामले, देश के 25 हाई कोर्ट में 63,63,406 मामले और निचली अदालतों में 4,84,57,343 मामले लंबित हैं। यह आंकड़े 8 दिसंबर तक के हैं। मेघवाल ने बताया कि न्यायिक देरी कई कारणों की वजह से होती है- मामलों की जटिलता, सबूतों की प्रकृति, वकीलों, जांच एजेंसियों, गवाहों और वादियों का सहयोग, तथा अदालतों में पर्याप्त ढांचे और स्टाफ की उपलब्धता जैसे कारक लंबित मामलों को बढ़ाते हैं। CJI सूर्यकांत ने भी 19 दिन पहले चिंता जताई थी CJI सूर्यकांत ने 22 नवंबर को शपथ लेने से दो दिन पहले कहा था कि देश में 5 करोड़ से ज्यादा पेंडिंग केस न्यायपालिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि इन बैकलॉग से निपटना और विवाद सुलझाने के लिए मीडिएशन को बढ़ावा देना, उनकी दो प्रायोरिटी होंगी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केस की संख्या 90 हजार को पार कर चुकी है। मेरी पहली और सबसे बड़ी चुनौती ये पेंडिंग केस हैं। मैं इस बात में नहीं जा रहा कि यह कैसे हुआ, कौन जिम्मेदार है। हो सकता है लिस्टिंग बढ़ गई हो। उन्होंने उदाहरण दिया कि दिल्ली के लैंड एक्विजिशन विवाद से जुड़े करीब 1,200 मामले उनके एक फैसले से निपटे थे। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि दूसरा मुद्दा मीडिएशन है। यह विवाद सुलझाने के सबसे आसान तरीकों में से एक है और यह सच में गेम चेंजर हो सकता है। जस्टिस कांत 24 नवंबर को जस्टिस बीआर गवई की जगह देश के 53वें CJI के रूप में शपथ लेंगे। उन्हें 30 अक्टूबर को प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने CJI के तौर पर अपॉइंट किया था। देशभर के कोर्ट से पेंडेंसी रिपोर्ट मंगाएंगे उन्होंने कहा कि वे हाईकोर्ट और देशभर की ट्रायल कोर्ट से भी पेंडेंसी की डिटेल रिपोर्ट मंगवाएंगे। हाईकोर्ट से उन पेंडिंग केस के बारे में पूछा जाएगा जिन पर टॉप कोर्ट की बड़ी कॉन्स्टिट्यूशन बेंच फैसला सुनाएंगी। दिल्ली-NCR के बढ़ते प्रदूषण पर प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वे प्रतिदिन लगभग 50 मिनट मॉर्निंग वॉक करते हैं और मौसम जैसा भी हो यह आदत नहीं छोड़ते। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि AI पर सावधानी सॉल्यूशन के साथ उसकी बीमारी भी समझनी होगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न्यायिक संस्थानों के लिए बड़ा समाधान दे सकता है, लेकिन इसके जोखिमों को समझकर ही इसका उपयोग बढ़ाना होगा। ———————————- ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत बोले- मैं दिल से पत्रकार हूं सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत निजी तौर पर पत्रकारिता को काफी पसंद करते हैं। उनका कहना है कि भले वे जज के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन दिल से पत्रकार हैं। पत्रकार की तरह हर केस की तह तक जाने की कोशिश करते हैं। पूरी खबर पढ़ें…
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