भजन गायक पद्मश्री अनूप जलोटा का मानना है कि गीत और गजलों में अश्लील शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। यह बेहद शर्मनाक है। इसकी अनुमति भी नहीं होनी चाहिए। इससे समाज में दुर्गंध फैलती है। कला एक साधना का नाम है। इसके प्रति हमारी पूरी श्रद्धा ईमानदारी होनी चाहिए। उन्होंने लखनऊ की जमकर तारीफ की और वंदे मातरम् का विरोध करने वालों पर भी नाराजगी जताई। एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने आए अनूप जलोटा ने दैनिक भास्कर से कई मुद्दों पर खुलकर बात की। पढ़िए उनसे सीधी बात… सवाल: वंदे मातरम् के डेढ़ सौ वर्ष पूरे हुए, बहुत सारे लोग इसका विरोध करते हैं? जवाब : प्रभावशाली चीज का ही विरोध होता है। हल्की-फुल्की चीज का कोई विरोध नहीं करता है। वंदे मातरम् हम लोगों को जोश दिलाता है। हमारे अंदर उर्जा भरता है। प्रत्येक भारतीय को यह राष्ट्रीय गीत बेहद प्रिय है। वंदे मातरम् 150 साल हो गए हैं। प्रधानमंत्री से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने कहा है कि डेढ़ सौ साल पर इसको नए ढंग से रिकॉर्ड कीजिए। पीएम के निर्देश पर जल्द ही वंदे मातरम् एक नए प्रभावशाली स्टाइल में सबको सुनने को मिलेगा। हमारे बीच वंदे मातरम् नए अंदाज में होगा, जिसे सुनकर लोग गौरवांवित महसूस करेंगे। सवाल: नए पुराने गजल गायकों को सुन रहे हैं, इनके भविष्य को कैसे देखते हैं? जवाब : नए गायकों में ऊर्जा और दिलचस्पी है। युवा पीढ़ी गजल गायकी में इंटरेस्ट ले रही है। यह बात बेहद सराहनीय है। जो गजल सिखाने वाले लोग हैं। वह भी पूरे मन और ऊर्जा से गजल सिखाते हैं, जिससे गजल का कल्चर बरकरार है। बाकी गायकी और शायरी में हमेशा कुछ बेहतर करने की गुंजाइश होती है। जब हम अपने पुराने गीतों को सुनते हैं तो लगता और बेहतर हो सकता था। सवाल : लखनऊ शहर को आप कैसे देखते हैं? जवाब : लखनऊ शहर अपने आप में महान है। यह अदब संस्कृति और सभ्यता का केंद्र है। यहां आना और लोगों से मिलना-परफॉर्म करना हमेशा ही खास रहता है। इस शहर में हमने अपनी शुरुआती दिनों के 20 साल गुजारे हैं। यह शहर दिल के बहुत करीब है। बस यही कह सकते हैं- ‘लखनऊ हम पर फिदा है, हम फिदा-ए-लखनऊ। आसमां में वो ताब कहां, जो हमसे छुड़ाए लखनऊ।’ —————- ये भी पढ़िए… डॉक्टर इन्हें कहूं या जल्लाद बोलूं… : दिल्ली ब्लास्ट पर लखनऊ में बोले विष्णु सक्सेना, कहा- 30 सेकंड में रिजेक्ट करता है GenZ ‘कुछ जहर बनाते हैं, कुछ बम बना रहे हैं, जमजम की जगह खून के आंसू पिला रहे हैं, डॉक्टर इन्हें कहूं या जल्लाद इन्हें बोलूं, जिन्हें जान बचाना था, वो जान खा रहे हैं।’ …(पूरा इंटरव्यू पढ़िए, देखिए)
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