देवरिया में विश्व भोजपुरी सम्मेलन, उत्तर प्रदेश द्वारा 13 और 14 दिसंबर को दो दिवसीय ‘संस्कृति पर्व 25’ का आयोजन किया जाएगा। राजकीय इंटर कॉलेज में होने वाले इस अधिवेशन का उद्देश्य भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर स्थापित करना है। आयोजन समिति ने इसे भोजपुरी अस्मिता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। संयोजक एवं विश्व भोजपुरी सम्मेलन, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सिद्धार्थ मणि त्रिपाठी ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि यह आयोजन देवरिया की उस भूमि पर हो रहा है, जहाँ 1995 में पंडित विद्यानिवास मिश्र ने विश्व भोजपुरी सम्मेलन की स्थापना कर भोजपुरी आंदोलन को नई दिशा दी थी। अधिवेशन के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि दिल्ली से सांसद, अभिनेता एवं गायक मनोज तिवारी ‘मृदुल’ होंगे। पहले दिन लोकरंग कार्यक्रम में कल्पना पटवारी, भरत शर्मा व्यास, शिल्पी राज और आलोक कुमार सहित कई कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। दूसरे दिन ‘बतकही’ सत्र में भोजपुरी की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और भविष्य पर गंभीर बौद्धिक विमर्श होगा। इसके बाद कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें डॉ. कमलेश राय, भालचंद्र त्रिपाठी, बादशाह प्रेमी, सुभाष यादव, भूषण त्यागी जैसे कवि शामिल होंगे। इस सत्र में उर्दू और हिंदी के नामचीन शायर शबीना अदीब, अज़हर इक़बाल, डॉ. मजीद देवबंदी और अफ़ज़ल इलाहाबादी भी अपनी शायरी प्रस्तुत करेंगे। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्र वर्चुअल माध्यम से अधिवेशन को संबोधित करेंगे। श्री त्रिपाठी ने भोजपुरी को केवल लोकभाषा नहीं, बल्कि संस्कृत से उद्भूत एक वैज्ञानिक भाषा बताया। उन्होंने कहा कि 30 करोड़ से अधिक भाषाभाषियों के साथ यह वास्तव में एक विश्वभाषा है। उन्होंने अपने शोध-ग्रंथ का हवाला देते हुए बताया कि इसमें 761 भोजपुरी धातुओं की पहचान की गई है, जो संस्कृत व्याकरण से सामंजस्य रखती हैं। श्री त्रिपाठी के अनुसार, भोजपुरी का इतिहास 7वीं सदी तक जाता है और गुरु गोरखनाथ तथा संत कबीर जैसे महापुरुषों ने इसी भाषा में लेखन कार्य किया था।
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