अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ताज़ा इंटरव्यू में रूस–यूक्रेन युद्ध को लेकर तीखी नाराज़गी जताते हुए दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध हार रहा है और मौजूदा नेतृत्व देश में लंबे समय से लंबित चुनाव करवाने से बच रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन खुद को लोकतंत्र कहता है, तो युद्ध का बहाना बनाकर चुनाव को अनिश्चितकाल तक टालना उचित नहीं है। ट्रंप ने साथ ही यूक्रेन की बहादुरी की तारीफ की, लेकिन यह भी कहा कि रूस के पास संसाधनों की जो विशालता है, वह किसी भी सैन्य समीकरण को असंतुलित कर देती है। ट्रंप ने कहा कि युद्ध की मौजूदा संरचना में रूस के पास बढ़त है और यही वजह है कि कीव के लिए मैदान पर टिके रहना कठिन होता जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूक्रेन युद्ध को चुनाव टालने के औज़ार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। ट्रंप का तर्क था कि जब एक देश लोकतंत्र की बात करता है, तो जनता को वोट देने का अवसर मिलना चाहिए, चाहे चुनाव का माहौल कितना ही कठिन क्यों न हो। उनका दावा है कि चुनाव कराने से नेतृत्व की जवाबदेही तय होती है और जनता को फैसला लेने का अवसर मिलता है। ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच गहरा व्यक्तिगत वैमनस्य किसी भी शांति समझौते को लगभग असंभव बना देता है। ट्रंप ने दावा किया कि वह आठ संघर्षों को सुलझा चुके हैं, लेकिन यह युद्ध इसलिए कठिन है क्योंकि दोनों नेता एक-दूसरे से बेहद नफ़रत करते हैं।
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दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने किसी भी तरह की ज़मीन छोड़ने से इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि यूक्रेन के कानून, संविधान और नैतिक दायित्व के मुताबिक एक इंच भी क्षेत्र सौंपना संभव नहीं है। यूरोप में अपने दौरों के दौरान उन्होंने कई नेताओं के साथ मुलाकात कर समर्थन मजबूत करने की कोशिश की और स्पष्ट किया कि रूस की मांगों के आगे झुकना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
इसी बीच, अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों ने यह आकलन पेश किया है कि हालाँकि रूस कुछ छोटे-छोटे इलाके कब्ज़ा कर आगे बढ़ रहा है और यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में दबाव बना रहा है, लेकिन युद्ध के नतीजे में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। उनके मुताबिक रूस केवल मामूली बढ़त बना पाया है और जीत की बात करना अभी वास्तविकता से दूर है। इसके बावजूद अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यूक्रेन रणनीतिक रूप से कुछ स्थानों पर धीरे-धीरे पीछे धकेला जा रहा है और संसाधनों की कमी उसकी स्थिति को मुश्किल बनाती जा रही है।
हम आपको बता दें कि यूरोपीय हलकों में यह चिंता भी बढ़ रही है कि ट्रंप शांति वार्ताओं में ठहराव से इतने निराश हैं कि वह खुद को इस मामले से अलग करने का फैसला कर सकते हैं। उनके बयानों में हाल के हफ्तों में स्पष्ट बदलाव देखा गया है। पहले जहाँ वह मानते थे कि यूक्रेन पूरा क्षेत्र वापस जीत सकता है, वहीं अब वह कहते हैं कि काफी जमीन खो दी गई है और स्थितियों को देखते हुए इसे जीत कहना संभव नहीं है।
देखा जाये तो ट्रंप के ताज़ा बयान एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत हैं। ट्रंप का आरोप है कि जेलेंस्की युद्ध को चुनाव टालने की ढाल बना रहे हैं। इस आरोप में दम इसलिए नजर आता है क्योंकि लोकतंत्र का मूल बिंदु है जनता का फैसला। लेकिन अगर कोई सरकार लगातार युद्ध का हवाला देकर चुनाव टालती रहती है, तो वह स्वयं अपनी लोकतांत्रिक वैधता पर प्रश्नचिह्न लगा देती है।
ट्रंप यह भी जानते हैं कि अमेरिका की जनता और यूरोपीय नेतृत्व दोनों युद्ध की थकान महसूस कर रहे हैं। वह खुले शब्दों में कहते हैं कि यह संघर्ष अब उनके लिए राजनीतिक बोझ बन रहा है। यह टिप्पणी सीधे यूक्रेन की रणनीति पर प्रहार है। साथ ही ट्रंप का यह आरोप कि यूक्रेन नेतृत्व युद्ध को खींच रहा है, यह बताने की कोशिश है कि युद्ध सिर्फ मोर्चों पर नहीं बल्कि सत्ता के गलियारों में भी लड़ा जाता है। इस मोर्चे पर ट्रंप के अनुसार, जेलेंस्की अपनी कुर्सी की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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