गाजियाबाद में तैनात सहायक आयुक्त (खाद्य)-II अरविंद कुमार यादव को शासन ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों और विभागीय जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है। उन पर अपने कार्यालय के कर्मचारियों से तालमेल न रखने, विभागीय अधिकारों का दुरुपयोग करने और कारोबारियों पर मनमानी छापेमारी कर निजी हित साधने जैसे गंभीर आरोप साबित हुए हैं। शिकायतों में यह बात भी सामने आई कि यादव खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुधारने की बजाय छापेमारी के जरिए दुकानदारों और व्यापारियों को अनावश्यक रूप से परेशान करते थे। इससे न केवल कारोबारियों में डर का माहौल बना, बल्कि विभाग की छवि भी खराब हुई। शासन स्तर पर उनकी कार्यशैली को संदिग्ध मानते हुए इसे खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के विपरीत बताया गया। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद शासन ने पूरे मामले की गहराई से जांच के आदेश दिए थे। इसी क्रम में 27 अक्टूबर को अरविंद कुमार यादव को गाजियाबाद से लखनऊ कार्यालय से संबद्ध (अटैच) करने का आदेश जारी किया गया था। इसके बाद 6 नवंबर को उन्हें गाजियाबाद से रिलीव करने के निर्देश दिए गए, जिसके बाद वे लखनऊ मुख्यालय से संबद्ध हो गए थे। इस कार्रवाई के खिलाफ अरविंद कुमार यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 8 दिसंबर को कोर्ट ने अटैचमेंट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए शासन और खाद्य आयुक्त से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था। हालांकि, कोर्ट के इस आदेश के बावजूद विभागीय स्तर पर जांच जारी रही। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद शासन ने कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। आदेश के अनुसार, निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन कार्यालय, लखनऊ निर्धारित किया गया है। इस दौरान उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और पूरे मामले की आगे विस्तृत जांच की जाएगी।
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