कानपुर में जेवर चोरी का आरोप लगने पर एक महिला ने जहर खा लिया। जहर खाने से पहले उसने लिखा- मैं चोर नहीं हूं। मेरी कोई सुनने वाला नहीं है। मुझे और मेरे पति पर ये झूठा आरोप लगाया गया है। मेरी सुनने वाला कोई नहीं है। मैं ऐसा क्या करूं जो मैं खुद को और अपने पति को बेगुनाह प्रूफ कर सकूं। प्रशासन और लोग मुझ पर प्रेशर डाल रहे हैं। कह रहे हैं कि तुम ही दोनों लोग चोर हो। मैंने बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है। क्योंकि मेरी बहुत बेइज्जती हो चुकी चुकी है। कोई मेरी मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है। पति ने महिला को हैलट में भर्ती कराया है। घटना बिल्हौर थाना क्षेत्र की है। बिल्हौर कोतवाली क्षेत्र के बलराम नगर निवासी हिमांशु तिवारी किसान हैं। वह मूलरूप से ककवन थाना क्षेत्र के बछना गांव के रहने वाले हैं। 23 नवंबर 2025 को वह अपनी पत्नी दीपिका तिवारी के साथ मामा के लड़के की शादी में शामिल होने कानपुर देहात के गांव खरका गए थे। रात में दीपिका ने अपना सोने का हार, झुमकी और 20 हजार रुपए मामा की बहू मनीषा पांडेय की तिजोरी में रख दिए। 24 नवंबर की सुबह तिजोरी खोली तो दीपिका, लक्ष्मी और हिमानी के जेवर गायब थे। जबकि मनीषा और रानू के जेवर सुरक्षित थे। दीपिका ने पति से कहा कि पुलिस से शिकायत करेंगे। इस पर परिवार के प्रशांत, पंकज, मनीषा, हिमानी और पूनम ने कहा कि एक बाबा को वह जानते हैं। जो यह बता देंगे कि जेवर किसने चोरी किए हैं। हिमांशु ने बताया कि मेरी पत्नी ने बाबा के पास जाने से मना कर दिया। इसके बाद मुझे आरोपियों ने घर के एक कमरे में बंद कर दिया। फिर मेरी पत्नी ने 112 नंबर पर कॉल किया। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस वहां पहुंची। पूछताछ की। फिर बगैर किसी कार्रवाई के लौट गई। इसके बाद आरोपियों ने सामान छीनकर दीपिका को एक गेस्टहाउस में नजरबंद कर दिया। करीब 2 घंटे बाद उसे छोड़ा। दीपिका ने जब अपना बैग मांगा तो प्रशांत और उसकी पत्नी ने देने से इनकार कर दिया। दीपिका बिना सामान के ही अपने घर लौट आई। परिजनों ने जेवर वापस दिलाने का आश्वासन दिया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। 30 नवंबर को प्रशांत और निमित पुलिस के साथ दीपिका के घर पहुंचे। पुलिस दीपिका को थाने ले गई। पीड़ित ने बताया कि राजपुर थाने में मेरी शिकायत नहीं सुनी गई। हिमांशु ने बताया कि पुलिस ने मुझ पर ही दबाव बनाया कि मैंने ही चोरी की है। मेरी तहरीर लेने से इनकार कर दिया। हिमांशु ने बताया कि पुलिस और परिवार के लोग लगातार मेरी पत्नी को चोर बोल रहे थे। मुझ पर भी चोरी का आरोप लगा रहे हैं। आरोपी कह रहे हैं कि पुलिस हमारा तो कुछ नहीं करेगी, मगर तुम दोनों जरूर जेल जाओगे। इससे दुखी होकर दीपिका ने एक पेज का सुसाइड नोट लिखा। फिर सोमवार शाम जहरीला पदार्थ खा लिया। परिजन उन्हें पहले बिल्हौर सीएचसी और फिर हैलट अस्पताल ले गए, जहां उनका इलाज जारी है। दीपिका ने लेटर में क्या लिखा, हूबहू पढ़िए-
सर मैने बहुत परेशान होकर यह कदम उठाया। मैं पहले से ही तनाव में रहती थी। लेकिन जब मेरे ऊपर चोरी का इल्जाम लगा तबसे मेरी हालत और विगड़ने लगी। मेरी दवा में भी गैप रहा। मुझ पर चोरी का दोषारोपण किया जा रहा है। मेरी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां तक कि प्रशासन (कानपुर देहात राजपुर), मैं ऐसा क्या करूं जो मैं खुद को, और अपने पति को बेगुनाह प्रूफ कर सकूं। हम दोनों लोंगों पर प्रशासन व व्यक्तित्व बहुत प्रेशर है कि चोर तुम्हीं दोनों लोग हो। मैंने बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है। क्योंकि मेरी बहुत बेइज्जती हो चुकी चुकी है। कोई मेरी मेरी बात सुनने को तैयार नहीं है। मेरे पास इतना नहीं है कि मैं इन्हें वापस लौटा सकूं। मुझे इंसाफ चाहिए। जो मुझे न्याय न दिला सके। कृपया वह इस मामले से दूर रहें। मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है। मुझ पर आरोप लगाने वाले अंग्रेज (प्रशान्त), पंकज, मनीषा, हिमानी, लक्ष्मी, पूनम आदि हैं ।
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