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गोरखपुर में तेजी से बढ़ी सारस की आबादी:5 सालों में 879 तक पहुंची, जलस्रोत और सुरक्षित आवास बने मुख्य कारण

गोरखपुर की दलदली भूमि, पोखरे और प्राकृतिक जलस्रोत राजकीय पक्षी सारस के लिए लगातार सुरक्षित आवास साबित हो रहे हैं। 5 सालों के आंकड़े पुष्टि करते हैं कि यहां सारस की आबादी में स्थाई वृद्धि हो रही है। वन विभाग द्वारा जून 2025 में की गई नवीनतम गणना में जिले में कुल 879 सारस दर्ज किए गए हैं। दरअसल, यह संख्या 2021 में केवल 128 थी। यानी 5 साल के भीतर आबादी में लगभग पाँच गुना उछाल आया है। यह वृद्धि बताती है कि जिले का पर्यावरण इन पक्षियों के जीवन, प्रजनन और भोजन श्रृंखला के लिए बेहद अनुकूल बन चुका है। साल-दर-साल दर्ज हुई वृद्धि ने बदला पर्यावरणीय पहचान 2021 में जिले में 112 व्यस्क और 16 चूजे सहित 128 सारस दर्ज किए गए थे। अगले ही साल संख्या बढ़कर 169 व्यस्क और 18 चूजों के साथ 187 हो गई। 2023 में वृद्धि की रफ्तार और तेज हुई तथा 347 व्यस्क और 79 चूजों के साथ कुल 426 सारस जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में पाए गए। 2024 तक आंकड़ा दोगुना से अधिक होकर 834 पहुंच गया, जिसमें 713 व्यस्क और 121 चूजे शामिल थे। ताजा सर्वेक्षण में यह आबादी 879 तक पहुंच चुकी है, जो जिले में सारस संरक्षण की सफलता का ठोस संकेत है। DFO विकास यादव बताते हैं कि सारस मुख्यतः खेतों, दलदलों और उथले जलाशयों में रहना पसंद करते हैं। यहां उन्हें अनाज के दाने, कीड़े-मकोड़े, छोटे जलीय जीव, मेंढक और घोंघे आसानी से मिल जाते हैं। भोजन श्रृंखला स्थिर होने से इनके प्रजनन चक्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। साथ ही खेतों से लेकर नहर किनारों तक फैली प्राकृतिक हरियाली और खुले जलक्षेत्र इन्हें घोंसला बनाने और चूजों को पालने के लिए सुरक्षित जगह देते हैं। जंगल कौड़िया सहित कई रेंज बने स्थायी आवास वन प्रभाग की 11 रेंज में से कई स्थान अब सारस के प्रमुख आवास माने जा रहे हैं। खासकर जंगल कौड़िया क्षेत्र में बड़ी संख्या में सारस की मौजूदगी दर्ज हुई है। वन विभाग इनके व्यवहार, प्रजनन और मूवमेंट पर नियमित मॉनिटरिंग कर रहा है। विभागीय टीमें समय-समय पर सर्वे कर आंकड़े अपडेट करती हैं।


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