DDU में रिश्वत लेते पकड़े गए अधीक्षक निलंबित:संबद्धता कार्यालय सील, जांच के लिए दो समितियां गठित; 23 कर्मचारियों की तैनाती बदली

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन टीम के हाथों पकड़े गए संबद्धता विभाग के कार्यालय अधीक्षक डॉ. बीएन सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें तत्काल निलंबित कर संबद्धता कार्यालय को सील कर दिया। फाइलों में किसी तरह की छेड़छाड़ रोकने के साथ-साथ पूरे प्रकरण की गहन जांच के लिए दो अलग-अलग समितियां गठित की गई हैं। दो जांच समितियां, अलग-अलग जिम्मेदारी
पहली तीन सदस्यीय समिति को संबद्धता विभाग से जुड़ी सभी फाइलों के निस्तारण की बारीकी से जांच करने, कॉलेज प्रबंधकों के बयान दर्ज करने और विस्तृत रिपोर्ट देने का जिम्मा सौंपा गया है। यह समिति फाइलों की प्रक्रिया का मूल्यांकन कर जल्द ही अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंपेगी। दूसरी जांच का दायित्व प्रति कुलपति प्रो. शांतनु रस्तोगी को दिया गया है। वे डॉ. बीएन सिंह पर चल रही कानूनी कार्रवाई का अध्ययन कर विश्वविद्यालय प्रशासन को आगे की प्रशासनिक कार्यवाही के लिए विस्तृत सुझावों की रिपोर्ट देंगे। शिकायत पर तत्काल हुई सीलिंग
शुक्रवार सुबह कुलपति को संबद्धता कार्यालय में फाइलों से छेड़छाड़ की शिकायत मिली। तत्काल कदम उठाते हुए उन्होंने डिप्टी रजिस्ट्रार रवि निषाद और चंद्रेश धीमान को मौके पर भेजा। दोनों अधिकारियों ने टीम के साथ पहुंचकर कार्यालय को सील कर दिया। इसके बाद आरोपी अधीक्षक डॉ. बीएन सिंह को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। 23 कर्मचारियों का पटल परिवर्तन
रिश्वत प्रकरण सामने आने के बाद लंबे समय से एक ही सीट पर तैनात कर्मचारियों को लेकर सवाल उठे। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुक्रवार को 23 कर्मचारियों का पटल परिवर्तन कर दिया। संबद्धता विभाग के सभी कर्मचारियों को अन्य विभागों में भेजा गया है। कुलपति कार्यालय में तैनात देवी सिंह को संबद्धता विभाग का नया कार्यालय अधीक्षक नियुक्त किया गया है। यह फेरबदल केवल संबद्धता विभाग तक सीमित नहीं रहा, विश्वविद्यालय के अन्य महत्वपूर्ण कार्यालयों के कर्मचारी भी बदलाव की जद में आए हैं। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि रिश्वत लेने का मामला गंभीर अपराध है और इससे विश्वविद्यालय की छवि को गहरी क्षति पहुंचती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोषी पाए जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। दो समितियां जांच शुरू कर चुकी हैं। रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ी तो और कर्मचारियों का पटल परिवर्तन किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। जांच शुरू, बढ़ी सतर्कता
दोनों समितियों ने अपने-अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। संबद्धता विभाग से जुड़ी फाइलों की हर प्रक्रिया की बारीकी से समीक्षा की जा रही है। कॉलेजों के प्रबंधकों से बयान लिए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई न केवल वर्तमान प्रकरण की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि आगे किसी भी तरह की अनियमितता पर रोक लगाने के लिए भी एक अहम कदम है।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर