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क्या बिहार में अब सम्राट ही ‘सरकार’:सदन में सरकार का जवाब दिया, CMO में आ सकते हैं मोदी के भरोसेमंद अफसर, नीतीश क्या घिर रहे

क्या अब बिहार में नीतीश कुमार सिर्फ चेहरा हैं और असली कमान BJP के हाथों में है? ये सवाल पटना से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारे में हैं। ऊपर से भले ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे दिखते हों, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में लिए गए चौंकाने वाले फैसलों ने साफ कर दिया है कि राज्य की कमान अब उनके हाथ में नहीं रही। सत्ता का पूरा कंट्रोल धीरे-धीरे, लेकिन मजबूती से भाजपा के दरवाजे पर जा चुका है। इसके पीछे 3 बड़े तर्क दिए जा रहे हैं। उन तर्कों को आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में जानेंगे…। पहला- नीतीश की जगह सम्राट चौधरी ने सरकार का दिया जवाब 5 दिसंबर को 18वीं विधानसभा के पहले सत्र (शीतकालीन) का समापन हो गया। सामान्यतः नियम है कि सत्र के आखिर दिन मुख्यमंत्री सरकार की तरफ से जवाब देते हैं। इस बार वह जवाब नीतीश कुमार ने नहीं दिया। उनके बदले सम्राट चौधरी ने दिया। जबकि, नीतीश कुमार राजधानी पटना में थे। नियम और परंपरा है कि वह अपनी अनुपस्थिति में किसी दूसरे सदस्य को जवाब देने के लिए नियुक्त कर सकते हैं। पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण पांडेय कहते हैं, ‘सरकार का पक्ष रखना कोई अलग चीज नहीं है। ये कैबिनेट का अधिकार होता है कि वे अपनी बात रखने के लिए किसी को प्रभार दे सकते हैं। राज्यपाल के अभिभाषण पर नीतीश कुमार ने ही अपनी बातें रखी थी। हालांकि, सरकार की तरफ से जवाब उन्होंने नहीं दिया।’ पॉलिटिकल एनालिस्ट संजय सिंह कहते हैं, ‘नीतीश कुमार आजकल लंबा भाषण देने से बचने का प्रयास कर रहे हैं। सदन में उनकी तरफ से सम्राट चौधरी का बयान देना, उनकी ताकत को दर्शाता है।’ दूसरा- गृह मंत्रालय लेकर एग्रेशन, धर्म और जाति का कॉम्बिनेशन पहली बार नीतीश कुमार ने गृह मंत्री पद भाजपा के लिए छोड़ा है। या यूं कहे कि विधानसभा में नंबर-1 पार्टी बनने के बाद भाजपा ने यह मंत्रालय उनसे छीन लिया है। 21 नवंबर को हुए कैबिनेट बंटवारे में डिप्टी CM सम्राट चौधरी को गृह मंत्री बनाया गया है। सम्राट पिछली सरकार में भी डिप्टी CM थे, तब उनके पास वित्त मंत्रालय था। मने तीनों तर्कों को देखें तो नीतीश से ज्यादा पावर सम्राट चौधरी में ही दिख रहा है। तीसरा- CMO में दिल्ली से आ सकते हैं मोदी के 2 भरोसेमंद IAS अफसर सियासी गलियारे में चर्चा है कि दिल्ली डेपुटेशन पर गए दो IAS अफसर अपना कार्यकाल बीच में छोड़कर बिहार लौट सकते हैं। दोनों IAS अफसरों को खास जिम्मेदारी के साथ मुख्यमंत्री ऑफिस (CMO) में तैनात किया जा सकता है। दोनों को PM मोदी का भरोसेमंद माना जाता है। एक्सपर्ट इसे बिहार की राजनीति का बड़ा घटनाक्रम मानते हैं। साथ ही भाजपा के आगे की रणनीति बताते हैं। नीतीश कुमार एक्टिव, लेकिन मीडिया से दूर 20 नवंबर को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार लगातार घूम रहे हैं। कैबिनेट की बैठक की। अलग-अलग विभागों के साथ बैठक कर काम का रिव्यू किया। विधानसभा सत्र में भी गए, लेकिन उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। सदन में बोले भी तो बस इतना कि आप लोगों (विपक्ष) ने कुछ काम नहीं किया है। खास बात है कि सरकार बनने के बाद सरकार ने 1 बड़ा निर्णय लिया, लेकिन उसकी जानकारी भी नीतीश कुमार ने X पर पोस्ट कर दी। 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने X पर पोस्ट कर बताया, ‘युवा, रोजगार व कौशल विकास, उच्च शिक्षा तथा नागर विमानन के लिए 3 नए विभाग बनेंगे।’ सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम निदेशालय तथा मार्केटिंग प्रमोशन कॉरपोरेशन भी बनेगा।


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