लखनऊ में सोमवार को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी में एवं’बहार-ए-ग़ज़ल’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ।लखनऊ फ़िल्म क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पद्मश्री भजन सम्राट अनूप जलोटा एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डॉ. हरिओम मुख्य रूप से मौजूद रहे। आयोजक मिथिलेश ने बताया कि उभरते ग़ज़ल गायकों को मंच प्रदान करना एवं शहर की ग़ज़ल परंपरा को नई ऊर्जा देना मुख्य उद्देश्य है। 2 महीनों गायकों को दी गई ट्रेनिंग गजल गायक मिथिलेश लखनवी द्वारा विगत 2 महीनों से ट्रेनिंग दे रहा है। उन्होंने बताया कि विगत दो महीनों से 20 वर्ष से 75 वर्ष तक की आयु वर्ग के प्रतिभागियों को ग़ज़ल गायकी का व्यवस्थित प्रशिक्षण दिया जा रहा था। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद प्रतिभागियों को प्रोत्साहन देने के लिए इस विशेष प्रस्तुति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंच पर सभी शिक्षार्थियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को सुरों और अदब की खूबसूरत महफ़िल में बदल दिया। गायकों को मिला सम्मान इस मौके पर मुख्य अतिथि अनूप जलोटा ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा गजल गायकी संगीत की रूह है। चाहे गीत की रचना हो या कविता का लेखन, कलाकार हमेशा कोशिश करता है कि इसे और बेहतर बनाया जाए। आज युवाओं को गजल के प्रति समर्पित देखकर अत्यंत खुशी हुई। इससे लगता है कि गजल का भविष्य उज्ज्वल है। 12 सालों से संस्कृति को बचाने का संघर्ष लखनऊ फ़िल्म क्लब के निर्देशक तारिक खान ने बताया कि संस्कृति को बढ़ावा देना उद्देश्य है। उनका क्लब पिछले 12 वर्षों से लखनऊ की संस्कृति, खानपान और विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से निरंतर फ़िल्म निर्माण कर रहा है। गज़ल जैसी विधाएं लखनऊ की पहचान हैं और इन्हें दस्तावेज के रूप में संरक्षित करना भी जरूरी है। इस अवसर पर पंडित धर्मनाथ मिश्र, उस्ताद गुलशन भारती, इतिहासकार रवि भट्ट समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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