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बुंदेलखंड में जल संरक्षण मॉडल का निरीक्षण:नाबार्ड CGM बोले-10 मिलियन हेक्टेयर पर लागू हुआ तो बदल जाएगी तस्वीर

झांसी में नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर डॉ. भवानी शंकर अपनी टीम के साथ टहरौली पहुंचे, जहां उन्होंने जल संरक्षण से जुड़े कार्यों का निरीक्षण किया। सामुदायिक विकास के मॉडल देखने के बाद उन्होंने कहा कि यदि यह व्यवस्था 10 मिलियन हेक्टेयर में लागू की जाए, तो बुंदेलखंड में इसके बेहद सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने इक्रीसेट द्वारा क्षेत्र के 40 गांवों में स्थापित बारिश के पानी को संरक्षित करने की प्राकृतिक व्यवस्था को भी देखा। सबसे पहले देखिए 2 तस्वीरें…
ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने किया स्वागत
डॉ. भवानी शंकर के साथ नाबार्ड लखनऊ के चीफ जनरल मैनेजर पंकज कुमार, डीजीएम सिद्धार्थ शंकर और झांसी के डीडीएम भूपेश पाल भी मौजूद थे। टीम के गांव पहुंचने पर ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद अधिकारियों ने नोटा गांव में बने सामुदायिक तालाब का निरीक्षण किया। यहां से वे गुंडाहा गांव में निर्मित जल संचयन संरचनाओं और भदोखर गांव में पुनर्जीवित हवेली देखने भी पहुंचे। नाबार्ड अधिकारियों ने भगोरा में विकसित कृषि वानिकी मॉडल, सूक्ष्म सिंचाई के लिए किसानों को दिए गए स्प्रिंकलर और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का भी जायजा लिया। जब डॉ. भवानी शंकर ने ग्रामीणों से नई कृषि तकनीकों के लाभ के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि इन व्यवस्थाओं से उत्पादन में स्पष्ट बढ़ोतरी हुई है। वैज्ञानिक बोले-पानी की उपलब्धता से बढ़ी बागवानी इक्रीसेट के ग्लोबल थीम लीडर व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह और सलाहकार आरके उत्तम ने परियोजना क्षेत्र में किए गए जल संरक्षण कार्यों की जानकारी मैप के जरिए दी। सहायक वैज्ञानिक डॉ. अशोक शुक्ला ने कृषि वानिकी मॉडल, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और खेत-परिवेश सुधार के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जल उपलब्धता सुनिश्चित होने से किसान अब बागवानी और फलदार वृक्षों से भी अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं, जो कृषि के लिए बेहद उत्साहजनक संकेत हैं।

चीफ ने कहा-सामुदायिक मॉडल बदल सकता है भविष्य
निरीक्षण के बाद डॉ. भवानी शंकर ने कहा कि क्षेत्र में जिस तरह जल संरक्षण और संचयन के प्रयास किए जा रहे हैं, वे प्रशंसनीय हैं। उन्होंने कहा कि यदि बुंदेलखंड में इसी तरह का सामुदायिक मॉडल 10 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर लागू कर दिया जाए, तो भविष्य में पानी से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान निकल सकता है। इससे पीने और सिंचाई—दोनों जरूरतों को पूरा करने में बड़ी मदद मिलेगी। ये लोग रहे मौजूद
प्राकृतिक संसाधन संरक्षण समिति के अध्यक्ष आशीष उपाध्याय, पुष्पेंद्र सिंह बुंदेला, डॉ. अशोक शुक्ला, रामप्रकाश पटेल, रामेश्वर शर्मा, दीनदयाल पटेल, नातीराजा बुंदेला, रविंद्र सोनी, गौरीशंकर सिरबैया, गौरव पटेल, राजू शर्मा नोटा, रामसिंह बुंदेला, जयराज सिंह राना, प्रहलाद सिंह, शैलेन्द्र सोनी, आनंद सिंह, शिशुवेंद्र सिंह, ललित किशोर, दीपक त्रिपाठी, विजय सिंह, छायाकार पिंटू, सुनील निरंजन, राकेश कुमार, सत्येंद्र सिंह, अनिल कुमार, निहाल सिंह, पर्वत कुशवाहा और नीरज कुमार सहित कई लोग उपस्थित रहे।​​​​​​​


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