एमपी बना फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का गढ़:भास्कर की पड़ताल- न टेस्ट, न लर्निंग, सिर्फ एक फोटो पर देश भर में बंट रहे लाइसेंस
न लर्निंग लाइसेंस बनवाने की जरूरत, न ड्राइविंग टेस्ट देने का झंझट। बस एक ऑनलाइन फोटो, कुछ फर्जी दस्तावेज…और आपके हाथ में होगा एक असली ड्राइविंग लाइसेंस, जो भारत के किसी भी कोने में मान्य होगा। मप्र के आरटीओ यानी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय इसी तरह बिना जांच पड़ताल के फर्जी लाइसेंस जारी कर रहे हैं। दैनिक भास्कर ने जब इस मामले की पड़ताल की तो पाया कि 100 से ज्यादा फर्जी लाइसेंस केवल इंदौर और उज्जैन आरटीओ से जारी हो चुके हैं। प्रदेश के बाकी आरटीओ के रिकॉर्ड की जांच की जाए तो ये आंकड़ा इससे ज्यादा हो सकता है। ये खेल तब से शुरू हुआ है जब से परिवहन विभाग की प्रक्रिया ऑनलाइन हुई है। परिवहन विभाग के अफसरों ने भी माना है कि उन्हें फर्जी लाइसेंस बनाए जाने की शिकायतें मिली हैं। किस तरह से ये पूरा खेल चल रहा है? आखिर ऑनलाइन प्रक्रिया में वो कौन सा लूपहोल है जिसका फायदा उठाकर फर्जी लाइसेंस बनाए जा रहे हैं। पढ़िए रिपोर्ट जानिए कैसे हो रहा फर्जी लाइसेंस बनाने का खेल…? दो राज्यों के आरटीओ की मिलीभगत
फर्जी लाइसेंस बनाने के काम में दो राज्यों के आरटीओ की मिलीभगत है। एक राज्य जहां से लाइसेंस की ऑनलाइन एंट्री की जाती है और दूसरे राज्य का आरटीओ उस लाइसेंस को जारी कर दिया जाता है। फर्जी लाइसेंस का खेल दो तरह के लाइसेंस में किया जा रहा है। पहला: ऐसे लाइसेंस जिनका ऑनलाइन रिकॉर्ड सारथी पोर्टल पर मौजूद नहीं है।
दूसरा: ऐसे लोगों के लाइसेंस जिनका रिकॉर्ड तो पोर्टल पर मौजूद है, लेकिन वह दूसरे राज्य के आरटीओ से अपना लाइसेंस रिन्युअल या अपडेट कराते हैं। समझिए, किस प्रक्रिया से फर्जी लाइसेंस बन रहे हैं…? 1. ऐसे लोगों के लाइसेंस जिनका ऑनलाइन रिकॉर्ड नहीं है
साल 2021 से परिवहन विभाग का सारा काम सारथी पोर्टल से ऑनलाइन होता है। जो डेटा अभी तक सारथी पोर्टल पर दर्ज नहीं है उसे दर्ज करने के लिए क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को बैकलॉग एंट्री का अधिकार दिया है। उदाहरण के तौर पर साल 2002-2003 से पहले देश में मैन्युअल लाइसेंस बनाए जाते थे यानी लाइसेंस में स्मार्ट चिप की जगह एक किताब होती थी। जिसमें लाइसेंसधारी की पूरी जानकारी दर्ज होती थी। ये डेटा ऑनलाइन दर्ज नहीं है। ऐसे में यदि कोई शख्स अपना पुराना लाइसेंस लेकर आरटीओ आता है तो कर्मचारी उसके लाइसेंस की बैकलॉग एंट्री कर देते हैं। इसी का फायदा फर्जी लाइसेंस बनाने के लिए उठाया जा रहा है। एक बार एंट्री हो गई तो देश के किसी भी आरटीओ से इसे रिन्यू या अपडेट कराया जा सकता है। नियम के मुताबिक इस एंट्री के साथ पुराने दस्तावेज भी ऑनलाइन दर्ज किए जाना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा। 2. ऐसे लोग जिनके लाइसेंस का रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज है अब जिन लोगों के लाइसेंस का रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज हैं और उन्हें अपना लाइसेंस रिन्यू कराना या अपडेट कराना है तो वो किसी भी राज्य में इसे करवा सकता है। ये एक फेसलेस सिस्टम है यानी आवेदक को आरटीओ दफ्तर आने की जरूरत नहीं है। सारा काम दस्तावेजों के आधार पर हो जाता है। अब इस गड़बड़ी को इस एक उदाहरण से समझिए हरियाणा का युवक, इंदौर-उज्जैन से 2 लाइसेंस जारी
हरियाणा के फरीदाबाद के निवासी सोहन सिंह पिता तेजपाल सिंह के एक ही समय में दो लाइसेंस इंदौर और उज्जैन से जारी हो गए । सोहन सिंह ने ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए अपना आधार कार्ड दिया था। इसमें जन्म तिथि 5 जनवरी 1993 दर्ज है। इसमें उसका पता 194 होली चौक के पास, सोते 73, फरीदाबाद, हरियाणा–121004, दर्ज है। जबकि उज्जैन आरटीओ से सोहन सिंह के नाम से 2 जून 2021 को जो ड्राइविंग लाइसेंस जारी हुआ उसमें पता लिखा है-194 होली चौक, संत कबीर नगर उज्जैन। उज्जैन आरटीओ से लाइसेंस जारी होने के तीन साल बाद 23 दिसंबर 2024 को सोहन सिंह ने इंदौर से एक नया ड्राइविंग लाइसेंस बनाया। इसमें एड्रेस, जन्मतिथि और नाम बदलने के लिए इंदौर आरटीओ को आवेदन दिया। इस बार सोहन सिंह ने जो एड्रेस दिया वो माली मोहल्ला, हातोद, इंदौर बताया । अब भास्कर की पड़ताल में जानिए क्या पता चला…? इंदौर और उज्जैन के दोनों पते फर्जी हैं
सोहन सिंह असल में हरियाणा के फरीदाबाद का रहने वाला है, लेकिन उसके नाम पर सार्थक पोर्टल पर मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश से दो अलग-अलग नाम से बैकलॉग एंट्री की गई। मणिपुर के आरटीओ से जो बैकलॉग एंट्री हुई उसे आधार बनाकर उज्जैन आरटीओ से लाइसेंस बनवाया गया। वहीं अरुणाचल आरटीओ से हुई बैकलॉग एंट्री के आधार पर इंदौर से लाइसेंस बनवाया गया। फरीदाबाद से बनाया आधार कार्ड असली, बाकी फर्जी
भास्कर के पास सोहन सिंह के तीन आधार कार्ड है। आधार नंबर एक ही है, लेकिन तीनों पर पते अलग-अलग लिखे हैं। एक आधार कार्ड पर फरीदाबाद का एड्रेस लिखा है। दूसरे पर उज्जैन का और तीसरे कार्ड पर इंदौर का एड्रेस लिखा है। भास्कर ने जब आधार कार्ड नंबर की ऑनलाइन वैलिडिटी चेक की तो उसमें लिखा आया कि इस कार्ड का अस्तित्व है। इसमें पता हरियाणा का लिखा आया। इसका मतलब ये है कि इंदौर और उज्जैन के एड्रेस फर्जी है। उज्जैन में होली चौक का अस्तित्व नहीं
इसके बाद भास्कर ने ड्राइविंग लाइसेंस पर लिखे एड्रेस को वेरिफाई किया। उज्जैन आरटीओ से बने ड्राइविंग लाइसेंस पर सोहन सिंह का पता 194 होली चौक के पास, संत कबीर नगर लिखा हुआ है। उज्जैन में कबीर नगर तो है लेकिन होली चौक नहीं है और न ही कबीर नगर में 194 नंबर का कोई मकान है। इसी तरह इंदौर आरटीओ से बने ड्राइविंग लाइसेंस पर पता लिखा है माली मोहल्ला, हातोद। ये पता भी इंदौर में नहीं मिला। इंदौर से 78, उज्जैन से 39 से फर्जी लाइसेंस
इसी तरह पंजाब के लुधियाना निवासी जीतसिंह पिता हरकीरत सिंह के नाम से यूपी का लाइसेंस दिखाकर इसकी बैकलॉग एंट्री की गई। इसी आधार पर मई 2025 में इंदौर आरटीओ में लाइसेंस नवीनीकरण का आवेदन किया। जीतसिंह के पते से जुड़े कोई दस्तावेज अपलोड नहीं किए गए थे, इसके बाद भी नया लाइसेंस जारी हो गया। भास्कर को परिवहन विभाग के सूत्रों ने बताया कि इसी साल के 8 महीने में अब तक इंदौर से बाहरी राज्यों की बैकलॉग एंट्री के आधार पर अब तक 78 तो उज्जैन से 39 फर्जी लाइसेंस जारी हो चुके हैं। इन लाइसेंस को जारी करने के लिए दस्तावेजों को वेरिफाई नहीं किया गया। सारे लाइसेंस बिना वेरिफिकेशन के ही रिन्यू कर दिए गए। अफसर बोले- शिकायतों की जांच कर रहे हैं
भास्कर ने जब इस मामले में परिवहन विभाग के कमिश्नर विवेक शर्मा से संपर्क किया और उन्हें सोहन सिंह और जीतसिंह के फर्जी लाइसेंस के केस के बारे में बताया तो परिवहन विभाग ने भी अपना डेटा चेक किया। विभाग ने भी जांच में पाया कि हरियाणा निवासी सोहन सिंह के लाइसेंस की एक बैकलॉग एंट्री अरुणाचल तो दूसरी मणिपुर से आई। इंदौर और उज्जैन के फर्जी पतों के आधार पर उसके दो लाइसेंस जारी हो गए। वहीं पंजाब के जीतसिंह का कोई रिकॉर्ड परिवहन विभाग को नहीं मिला। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने लगाई प्रक्रिया पर रोक
इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा ने तत्काल ही दूसरे राज्यों के बैकलॉग नंबर के आधार पर ट्रांसफर होकर आने वाले लाइसेंस के अपडेशन पर रोक लगा दी। यानी इनमें किसी भी तरह के अपडेट (नाम, पता बदलाव या नवीनीकरण के आवेदन आदि) पर अगले आदेश तक पूरी तरह रोक रहेगी। अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय परिवहन मंत्रालय से पत्राचार कर ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी कि दूसरे राज्यों के लाइसेंस के नंबर की पूरी जानकारी देखी और जांची जा सके।
Source: देश | दैनिक भास्कर
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