राजधानी के सारथी भवन में सोमवार सुबह ड्राइविंग लाइसेंस संबंधी सेवाओं का कामकाज पूरी तरह चरमरा गया। सर्वर ठप होने के साथ ही नए स्टाफ की तैनाती और निजी कंपनियों की पकड़ ढीली रहने के कारण व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ सकीं। परमानेंट लाइसेंस, नवीनीकरण और दस्तावेज़ स्क्रूटिनी-बायोमेट्रिक का काम पूरा दिन प्रभावित रहा, जिसके चलते आवेदकों की लंबी कतारें लगी रहीं। सुबह से सर्वर डाउन, लाइसेंस की सभी सेवाएं रुकीं सुबह तय स्लॉट के अनुसार पहुंचे आवेदकों को काउंटर खुलने के बावजूद काम शुरू न होने की वजह से घंटों इंतजार करना पड़ा। स्क्रूटिनी और बायोमेट्रिक मशीनें लगातार फ्रीज होती रहीं। सिस्टम न चलने से स्टाफ भी आवेदकों को आगे बढ़ाने में असमर्थ रहा। नई एजेंसी, नया स्टाफ… और बढ़ी अव्यवस्था इस बार प्रदेशभर में ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े कामों की जिम्मेदारी तीन निजी कंपनियों—सिल्वर टच, फोकाम नेट और रोज़मा—को दी गई है। लखनऊ में संपूर्ण संचालन सिल्वर टच देख रही है। आरटीओ संजय तिवारी और परिवहन आयुक्त किंजल सिंह ने पहले ही निर्देश जारी कर पुराने स्टाफ को हटाकर नए कर्मचारियों को तैनात करने को कहा था। इसी के चलते कई नए कर्मचारी अन्य जिलों से लाए गए हैं। हालांकि, नए स्टाफ को आरटीओ के सिस्टम, प्रक्रियाओं और सॉफ्टवेयर समझने में समय लग रहा है। अनुभव की कमी और व्यवस्थाओं की अपरिचितता के कारण आज सुबह से ही काम बेहद धीमा रहा और आवेदकों की लाइनें लगातार बढ़ती चली गईं। स्लॉट बुकिंग बेअसर, आवेदकों को इंतज़ार और असुविधा ऑनलाइन स्लॉट के बाद भी काम न होने से आवेदकों को परेशानी झेलनी पड़ी। कई लोग कामकाज छोड़कर आए थे, जिन्हें सर्वर दिक्कत और स्टाफ के प्रशिक्षण के चलते काफी देर इंतजार करना पड़ा। लंबी लाइनों और धीमी प्रक्रिया के कारण माहौल में तनाव भी बढ़ता गया। प्रबंधन की कोशिशें जारी, सुधार की उम्मीद अभी दूर तकनीकी टीम सर्वर दोबारा चालू करने में जुटी रही, लेकिन सिस्टम बार-बार फेल होने से कामकाज पटरी पर नहीं लौट सका। अनुभवी स्टाफ की जगह नए कर्मचारियों के आने से समन्वय की कमी भी स्पष्ट दिखी। दिनभर की कोशिशों के बावजूद समस्या जस की तस बनी रही, और कतारों में खड़े आवेदकों को देर शाम तक राहत नहीं मिली।
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