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सीमांचल का ग्राउंड वाटर पीने लायक नहीं:नाइट्रेट, आर्सेनिक, यूरेनियम, आयरन और भारी मेटल्स तय सीमा से अधिक

बिहार के सीमांचल क्षेत्र का ग्राउंड वाटर अब पीने योग्य नहीं रह गया है। हालिया सरकारी जांच में किशनगंज और पूर्णिया के भूजल में नाइट्रेट और आर्सेनिक की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित सुरक्षित मानकों से कई गुना अधिक पाई गई है। जांच में आयरन का स्तर भी चिंताजनक पाया गया है। किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया सहित बिहार के कुल 33 जिलों में आयरन की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक इस स्तर का पानी पीने से लीवर और किडनी पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। सीसा (लेड), कैडमियम और क्रोमियम जैसी भारी धातुओं की मात्रा मौजूद इसके अतिरिक्त, किशनगंज और पूर्णिया में यूरेनियम का स्तर भी खतरनाक रूप से ऊंचा पाया गया है। कटिहार और किशनगंज में सीसा (लेड), कैडमियम और क्रोमियम जैसी भारी धातुओं की मात्रा भी निर्धारित सीमा से कहीं अधिक मिली है। ये सभी तत्व कैंसर, किडनी फेलियर और तंत्रिका तंत्र को स्थायी नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं। भूजल में इन हानिकारक तत्वों की बढ़ती मात्रा का मुख्य कारण अंधाधुंध रासायनिक खादों का उपयोग, सीवेज का रिसाव और औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान बताया जा रहा है। जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन से शुद्ध पानी पहुंचाने की योजना सीमांचल के ग्रामीण इलाकों में हैंडपंप पानी का मुख्य स्रोत हैं, जिसके कारण लाखों लोग प्रतिदिन यह दूषित पानी पीने को विवश हैं। हालांकि, सरकार ने अभी तक इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन से शुद्ध पानी पहुंचाने की योजना है, लेकिन सीमांचल क्षेत्र में इसका क्रियान्वयन अभी भी धीमा है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि इस दिशा में तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले कुछ वर्षों में सीमांचल के इन जिलों में कैंसर, किडनी और लीवर संबंधी बीमारियों में भयावह वृद्धि देखी जा सकती है।


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